दिल्ली भारत की राजधानी होने के साथ साथ भारी आबादी वाला राज्य भी है। यहां अन्य राज्यों से लोग नौकरी के सिलसिले में ज्यादा आते है। दिल्ली अपनी ट्रैफिक के लिए भी बहुत मशहूर है। दिल्ली विश्व का ऐसा शहर है जहां रोड पर सबसे अधिक गाड़िया चलती है। ट्रैफिक से बचने के लिए और अपनी सहूलियत के लोग दिल्ली मेट्रो से सफर करना करना पसंद करते है। दिल्ली मेट्रो सर्विस एक मिसाल के रूप में भी देखी जाती है। दिल्ली मेट्रो देश की सबसे बड़ी नेटवर्क में आती है। दिल्ली मेट्रो की सर्विस बेहद बेहतरीन मानी जाती है। दिल्ली में लोग ट्रैवल करने के लिए सबसे आसान और सुगम सुविधा दिल्ली मेट्रो को ही मानते है। दिल्ली मेट्रो सेवा का लाभ रोजाना दिल्ली-एनसीआर के हजारों लोग उठाते हैं। सुबह से लेकर शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती है। DMRC ने 25 दिसंबर 2002 को शाहदरा और तीस हजारी के बीच अपना पहला कॉरिडोर खोला था। आज दिल्ली एनसीआर के कोने कोने में मेट्रो की सुविधा है। वहीं कोरोना के बाद से पहली बार मेट्रो में प्रतिदिन सफर करने वाले यात्रियों की औसत संख्या 50 लाख के पार पहुंच गई है। जिसकी वजह से मेट्रो घाटे से धीरे धीरे उभर रही हैं।
कोरोना की वजह से सहना पड़ा था घाटा
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) के अनुसार कोरोना काल से पहले वर्ष 2019 के अक्टूबर-नवंबर में मेट्रो में करीब 55 लाख यात्री यात्रा करते थे। मार्च 2020 में कोरोना आने के बाद से 5 महीने तक मेट्रो सेवा बंद रही थी। इसके बाद मेट्रो सेवा पुनः परिचालन शुरू होने पर एक सीट छोड़कर मेट्रो में सफर की व्यवस्था की गई थी। दिल्ली मेट्रो में बहुत लंबे समय तक मेट्रो में खड़े होकर सफर करने की इजाजत नहीं थी। जिसके कारण मेट्रो में कोरोना से पहले की तुलना में 10 से 12 प्रतिशत यात्री ही सफर कर रहे थे। जिससे मेट्रो को बहुत घाटा सहना पड़ा था।
मेट्रो में रोजाना 50 लाख लोग करते है सफर
मेट्रो में अब करीब 91.50 प्रतिशत यात्री सफर करते है। इसी वर्ष 2022 के सितंबर माह में यात्रियों को संख्या 47 लाख के पार पहुंच गई थी जोकि अक्टूबर में घट गई थी क्योंकि त्योहारों के कारण लोग दिल्ली में नहीं रहते। नवंबर माह में यात्रियों का दबाव बड़ा और आंकड़ा 50 लाख के पार पहुंच गया।