हर साल सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है, जिस से सारे मे स्मॉग फेल जाता है, इस स्मॉग से लोगो को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
लेकिन इसी बीच विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की ओर से जारी की गई नई रिपोर्ट में दावा किया है कि, महामारी से पहले के मुकाबले 20 फीसदी तक प्रदूषण घटा है।
इस गणना के दौरान रिपोर्ट में दिल्ली और एनसीआर में 1 जनवरी 2015 से लेकर 2022 तक की सर्दियों के रुझानों को शामिल किया गया। यह रिपोर्ट इस क्षेत्र के सक्रिय 81 वायु गणवत्ता निगरानी स्टेशन से उपलब्ध ‘रियल टाइम डाटा’ पर आधारित है।
बता दें कि महामारी से पहले सर्दी के समय में पीएम 2.5 सांद्रता प्रति घन मीटर 180-190 माइक्रोग्राम तक बढ़ जाती थी। लेकिन रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएम 2.5 सांद्रता अब घटकर प्रति घन मीटर 150 से 160 माइक्रोग्राम तक रह गई है।
सीएसई में शोध निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने बताया कि, इस रिपोर्ट का मकसद प्रदूषण के रुझान को समझना है। सीएसई ने पाया है कि सुधार के बावजूद भी इस मौसम का औसत अब भी 24 घंटों के मानक स्तर के मुकाबले 150 फीसदी अधिक है और यह करीब वार्षिक मानक स्तर का चार गुना है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ महामारी से पहले चरम मे प्रदूषण प्रति घन मीटर 800 माइक्रोग्राम के आंकड़े को पार कर जाया करता था, लेकिन पिछली तीन सालों की सर्दियों के दौरान यह स्तर प्रति घन मीटर 700-800 माइक्रोग्राम रहा।
वहीं सीएसई के अनुसार, चरम प्रदूषण का आंकड़ा असल स्तर को नहीं दर्शाता क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साल 2016-17 में प्रति घन मीटर 1000 माइक्रोग्राम की सीमा तय कर दी थी।
इससे चरम प्रदूषण स्तर का आकलन बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। शोधकर्ताओं ने यह कहा है कि साल 2020-21 के मुकाबले वर्ष 2021-22 में एनसीआर के ज्यादातर शहरों में सर्दी में प्रदूषण सबसे कम था।