दिल्ली में एक साल में बढ़ा 50 फीसदी स्क्रैप कारोबार, यहां जानें क्या है वजह

हमने आपकों अभी कुछ दिन पहले बताया था कि,सरकार ने अपना समय पूरा कर चुके पेट्रोल डीजल के वाहनों के पंजीकरण रद्द कर दिए हैं। सरकार ने 15 साल पुराने पेट्रोल डीजल के वाहनों को रद्द किया है।

अब ऐसे में जिन वाहनों के पंजीकरण रद्द हुए हैं, उस से स्क्रैप कारोबार में काफ़ी बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है। बता दें कि पिछले एक साल में स्क्रैप कारोबार में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।जानकारी के अनुसार दिल्ली की स्क्रैप एजेंसियों मे फिलहाल हर महीने करीब 6000 वाहनों का स्क्रैप किया जा रहा है। जिसमें से 75 फीसदी वाहन दोपहिया हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले चार सालों में दिल्ली में
53.38 लाख वाहनों के पंजीकरण रद्द हुए हैं। वहीं इस साल भी 50,25,447 वाहनों को डी रजिस्टर किया गया।
जिन वाहनों का पंजीकरण रद्द हुआ है वह अब न तो सड़क पर चल सकती है और न ही सड़क या गलियों में खड़ी हो सकती है।

अब ऐसे में एक स्क्रैप एजेंसी के मालिक नितिन पटेल के
अनुसार,पिछले एक साल में वाहनों के स्क्रैप कारोबार में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।हर महीने करीब छह हजार वाहनों को स्क्रैप किया जा रहा है। जिसमें से 75 फीसदी से अधिक पेट्रोल वाहन हैं। पटेल के मुताबिक, प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए एनजीटी की सख्ती का असर अब दिखने लगा है।

बता दें कि फिलहाल डी रजिस्टर किए गए 60-70 फीसदी वाहन पहले ही निजी स्क्रैपर को दे गए है या दूसरे राज्यों में चल रहे हैं। पिछले चार सालों में स्क्रैप किए गए 53.38 लाख वाहनों में 46.98 लाख यानि करीब 88 फीसदी पेट्रोल वाहन हैं। वाहनों की संख्या में कम होने से दिल्ली के प्रदूषण में काफी कमी होने की उम्मीद है।

बता दें कि जिन वाहनों के पंजीकरण रद्द होते हैं,उनके परिवहन पोर्टल से नाम हटा दिए जाते हैं। 53.38 लाख वाहनों के पिछले पांच वर्षों में पंजीकरण हुआ रद्द

2018 —- 22424

2019 —- कोविड के कारण प्रभावित

20़20 —- 63547

2021 —- 22827

2022 —- 5025447