दिल्ली में नाली इतनी गंदगी से भरी हैं कि लोगों को बरसात के समय उनसे कठिनाइयां होती है। क्योंकि बरसात के समय पानी सड़कों पर आ जाता है, जिससे सड़क पर गंदे पानी का जलभराव हो जाता है और लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही यमुना नदी भी गंदी हो रही है।
एमसीडी ने दिल्ली के लोगों को इस गंदगी से बचाने और यमुना नदी को साफ करने के लिए आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक नई तकनीक का ईजाद किया है।जिसके बाद से नालों की सफाई बायो-रेमेडिएशन (जैव उपचारण) तकनीक से अपने आप हुआ करेंगी।
सूत्रों के मुताबिक़ इस तकनीक से पुष्प विहार-चिराग दिल्ली में नाले की सफाई शुरू की गई है। इस तकनीक के तहत नाले मे ऐसे पौधे लगाए जाते हैं, जो नाले में बहने वाले तैलीय किस्म की चीजें, ग्रीस व अन्य हानिकारक केमिकल्स को सोख लेते हैं। इसके लिए नाली का फ्लो रोककर उसके बीच में पौधे लगाए जाते हैं।इससे तकनीक से पानी में ऑक्सिजन लेवल भी बढ़ जाता है।
एमसीडी के एरिया में नालों के संख्या की बात करें तो निगम के सभी 12 जोन को मिलाकर 645 नाले आते हैं। इन नालों की कुल लंबाई 520 किमी से भी अधिक है, जो 4 फीट या इससे कम गहरे बड़े नालों में मिलते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि यह बड़े नाले यमुना में जाकर गिरते हैं। जिससे यमुना का पानी भी दूषित हो रहा है।
इसी वजह से इस बायो-रेमेडिएशन तकनीक को अपनाया गया है। ताकि नालों को साफ़ किया जा सके और लोगों को गंदगी से बचाया हा सके। इसके अलावा इस तकनीक के बाद से नालों को हर साल साफ़ करनें की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिससे सालाना खर्च भी कम होगा।