हिंदी और अंग्रेजी के शब्द उर्दू/फारसी शब्दों की जगह लेने जा रहे हैं, खासकर एफआईआर, दैनिक डायरी, चार्जशीट में, जो ब्रिटिश काल से दिल्ली पुलिस के कामकाज का हिस्सा रहे हैं। इसको लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने एक सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस के रोजमर्रा के कामकाज में खासकर एफआईआर में उर्दू/फारसी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे आम आदमी नहीं समझ सकता। इसलिए इन शब्दों के स्थान पर हिन्दी और अंग्रेजी के सरल शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, जिन्हें समझने में किसी को कठिनाई न हो।
दिल्ली हाई कोर्ट में PIL दायर करी गई थी
आपको बता दे कि परिपत्र के साथ 383 शब्दों की सूची भी संलग्न की गई है, जिनका हिंदी और अंग्रेजी में सरल शब्दों में अनुवाद किया जाना है। यह बदलाव PIL के चलते किया जा रहा है। यह सर्कुलर 11 अप्रैल 2023 को जारी किया गया है। जिसका विषय है “एफआईआर दर्ज करते समय सरल शब्दों के प्रयोग के संबंध में निर्देश, दैनिक डायरी”। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर किया गया था।
आसान शब्दों का प्रयोग करें
वहीं आपको बताते चले कि याचिका में दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करते समय उर्दू/फारसी शब्दों के इस्तेमाल को चुनौती दी गई थी। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपरोक्त मामले में दिनांक 07.08.2019 के आदेश को पारित करते हुए कहा कि प्राथमिकी शिकायतकर्ता के शब्दों में होनी चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा गया कि इन शब्दों का बहुत जटिल भाषा में प्रयोग नहीं करना चाहिए या जिनका अर्थ शब्दकोशों की मदद से खोजा जाता है। वहीं कहा गया कि पुलिस अधिकारी बड़े पैमाने पर आम जनता के लिए काम कर रहे हैं न कि उर्दू, हिंदी या फारसी भाषा में डॉक्टरेट की डिग्री वालों के लिए। ऐसे में जहां तक हो सके एफआईआर में साधारण शब्दों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।