Delhi News: फटे जूतों में करता था प्रैक्टिस और आज किए है 12 स्वर्ण पदक अपने नाम, रिक्शा चालक के बेटे की कहानी

फटे जूतों में चढ़े हम आसमां पर, हमारे ख्वाब हमेशा हमारी हैसियत से बढ़ गए। कवि मनोज मुंतशिर की ये पंक्तियां 17 साल के धावक तनीश यादव के संघर्ष की कहानी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद उनके हौसलों ने कभी हार नहीं मानी। फटे जूते पहनकर बाधा दौड़ की शुरुआत करने वाले तनिश के नाम आज जोन, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुल 12 स्वर्ण पदक हैं।

 

तनिष यादव कर रहे देश का नाम रोशन

प्राप्त जानकारी के मुताबिक तनीश यादव राष्ट्रीय स्तर पर 3000 मीटर बाधा दौड़ में ऊंची उड़ान भरकर अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। वर्तमान में, वह भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में प्रशिक्षण लेते हैं। अगर तनिष को बेहतर खाना और मौके मिले तो वह एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का तिरंगा फहरा सकता है।

 

तनिष के पिता बैटरी रिक्शा चालक

आपको बता दे कि तनिष यादव अपने परिवार के साथ झिलमिल कॉलोनी के ई-ब्लॉक में रहते हैं। तनिष के पिता सर्वेंद्र कुमार बैटरी रिक्शा चलाते हैं और मां पूनम गृहिणी हैं। सिस्टर सृष्टि एक रनर भी हैं। तनिश ने बताया कि जब उन्होंने अपने गांव के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए दौड़ की तैयारी करते देखा तो उन्होंने रनिंग को करियर बनाने का फैसला किया, परंतु जिस घर में सुबह रोटी खाने के बाद शाम को चूल्हा जलेगा या नहीं, यह भी पता नहीं होता था।

 

फटे जूतों में करता था ट्रेनिंग

ऐसी स्थिति में कैंपस में ट्रेनिंग कराना संभव नहीं था। कमजोर आर्थिक स्थिति और दो वक्त की रोटी न होने के बावजूद इनका हौसला बुलंद रहा। जून 2019 के महीने में, उसने यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत बाधा दौड़ में दाखिला लिया। कोच पंकज मलिक ने बताया कि तनीश फटे जूतों में ही प्रैक्टिस करता था। पैरों में छाले भी पड़ जाते थे, परंतु सपनों की जिद के आगे उसे कोई परेशानी महसूस नहीं होती थी।