भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां पर भूमि भी अच्छी मात्रा में है और जल्दी अच्छी मात्रा में है लेकिन भारत में कुछ ऐसे तत्व भी मौजूद है। जो भारत के विकास में आड़े आते हैं। देखा जाए तो भारत में कई ऐसी सरकारी जमीन है। जिस पर अवैध कब्जे हो रखे हैं और आज हम बात करने वाले हैं अवैध कब्जों पर मजारे बनाने की राजधानी दिल्ली में कई ऐसे अवैध कब्जे कर कर मजारे बनाई गई है। आज उसी के बारे में हम खुलासा करने वाले हैं तो बने रहिए इस लेख इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
राजधानी में बने अवैध मजार
सवाल यह उठता है कि इन मजारों को कई वर्षों पुराना बताया जाता है लेकिन जांच पड़ताल करने के बाद खुलासा कुछ और ही कहता है। राजधानी दिल्ली में ऐसे कई अवैध मजारे देखने को मिलते हैं जो खुद को वैध प्रमाणित करते हैं। एक ऐसे ही तस्वीर राजधानी दिल्ली के आजादपुर फ्लाईओवर पर बनी अवैध मजार की सामने आ रही है। ऊपर लगी तस्वीर तस्वीर दिल्ली के आजादपुर इलाके की है, जहां एक फ्लाईओवर पर मकबरा बनाया गया है और स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर यह मकबरा बनाया गया है। साल 2021 में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध भी किया था। लेकिन तब इस पर काफी राजनीति हुई थी और कहा गया था कि इस मजार को फ्लाईओवर से नहीं हटाया जाएगा।
क्या होता है मजार क्यों बनाते हैं?
आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है की आखिर मजार होता क्या है? तो आपको बता दें कि मजार वह जगह होती है जहां किसी पीर बाबा या सूफी संत की कब्र होती है। गौरतलब है कि क्या इस आधार पर यह मान लिया जाए कि इस फ्लाईओवर पर पहले कोई कब्र थी और फिर उस कब्र के चारों ओर एक मकबरे के रूप में ढांचा खड़ा कर दिया गया? लेकिन क्या है इसके प्रमाण जानने के लिए अंत तक जरूर पढ़े।
आजादपुर पर बना मजार अवैध है या नहीं?
अब सवाल यह उठता है कि आजादपुर में जो अवैध मजार है क्या वहां भी किसी सूफी संत की कब्र है इसी की जांच पड़ताल करते हुए हमने उस मजार की देखभाल करने वाले कुछ लोगों से बात ही तो उनका कहना है कि यह मकबरा साल 1982 में बना था। वही जब हमने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग की वेबसाइट चेक किया तो पाया कि जिस फ्लाईओवर पर ये मकबरा बना हुआ है उसका उद्घाटन साल 2010 में हुआ था और इस फ्लाईओवर को खास कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए 2010 में निर्मित किया गया था। इसी आधार पर यह कैसे मुमकिन है कि पहले जब फ्लाईओवर ही नहीं था तो वहां मकबरा बना हुआ था?
वही दूसरी पक्ष की बात जाने तो कुछ लोगों का कहना है कि जिस समय इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू होना था, उसी समय यह मकबरा इसके आड़े आ रहा था। इस वजह से कोई विवाद न हो इसलिए इस मजार को वहां से हटाकर इस फ्लाईओवर पर शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बात बिल्कुल गलत है और यह मजार सिर्फ अतिक्रमण के मकसद से बनाई गई थी।