Delhi News: आखिर असली बारहखंभा कहां हैं? सीपी वाला बारहखंभा है फेक! जानिए असलियत

ताजनगरी दिल्ली को दिलवालों का शहर कहा जाता है। राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोग कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल मानते हैं। वहीं आप दिल्ली में रहते हैं तो आपने यहां का दौरा जरूर किया होगा। आपने कनॉट प्लेस से सटे बारहखंभा रोड को भी देखा होगा। बारहखंभा रोड पर दिल्ली मेट्रो का एक स्टेशन भी है, परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम बारहखंभा रोड क्यों पड़ा। यहां वास्तव में 12 खंभे हैं या नहीं। गोपालदास भवन के सामने की इमारत को कुछ लोग बारहखंभा कहते हैं, परंतु इसकी कहानी कुछ और ही है। चलिए आज हम आपको दिल्ली के बारहखंभा रोड की पूरी कहानी बताते हैं।

 

गोपालदास भवन में मूल बारहखंभा नहीं है

आपको बता दें कि इंटरनेट पर Quora की वेबसाइट पर कुछ लोगों ने इसके बारे में जानकारी दी है। राजधानी दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर लोगों का मानना ​​है कि कनॉट प्लेस से मंडी हाउस के रास्ते में बारहखंभा रोड पर बायीं ओर केवल 12 खंभे हैं और गोपालदास भवन की दीवार से सटे कुछ खंभे हैं, जिनके नाम पर इसका नाम रखा गया है, परंतु बारहखंभा रोड का इतिहास कुछ और ही है। मूल बारहखंभा का इतिहास 600 साल पुराना है, जबकि गोपालदास भवन 1950 के दशक में बनाया गया था।

 

असली बारहखंभा कहां है?

मूल बारहखंभा दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के पास है। हुमायूं का मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित है। इसके दाहिनी ओर लोधी स्टेट की दिशा में बारहखंभा है। इस बारहखंभा का निर्माण करीब 600 साल पहले हुआ था। इसे मुहम्मद बिन तुगलक ने बनवाया था।

 

बारहखंभा रोड का नाम कैसे पड़ा?

आपको बता दे कि कनॉट प्लेस में बारहखंभा रोड है, जो हुमायूं के मकबरे के इलाके से करीब 5-6 किलोमीटर दूर है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि असली बारहखंभा इतना दूर है तो कनॉट प्लेस के इलाके का नाम बारहखंभा रोड क्यों रखा गया। ऐसा माना जाता है कि जब मुहम्मद बिन तुगलक ने बारहखंभा का निर्माण किया था, तब निजामुद्दीन स्थित बारहखंभा कनॉट प्लेस से स्पष्ट दिखाई देता था।