दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले सीएनजी गाड़ियों की संख्या अब कम होती नजर आ रही है। जनता अब कम सीएनजी वाहन खरीद रहे हैं। यूक्रेन-रूस विवाद को देखते हुए कुछ लोग अपने वाहनों को सीएनजी में बदलवा रहे हैं। सीएनजी वाहनों में कमी का एक और कारण देखा जा रहा है, इन कारणों से सीएनजी पंपों पर भी वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। अक्टूबर-दिसंबर के दौरान आरटीओ से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में सीएनजी वाहनों की संख्या में गिरावट आकी गई है।
सीएनजी वाहनों में कमी देखने को मिल रही
ताजनगरी दिल्ली देश में सीएनजी वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है। दिल्ली में पंजीकृत सीएनजी वाहनों की संख्या अक्टूबर में 7,294 से घटकर 5,957 रह गई है। इसी तरह गाजियाबाद, नोएडा और हापुड़ में सीएनजी वाहनों के रजिस्ट्रेशन में गिरावट देखने को मिली है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर और शामली में सीएनजी वाहनों की संख्या में कमी देखी गई है। यहां सीएनजी वाहनों के रजिस्ट्रेशन की संख्या 693 से घटकर 494 रह गई है।
सरकारी आंकड़ों में भी पता चला
आपको बता दे कि राष्ट्रीय स्तर पर जारी सरकारी आंकड़ों से भी पता चलता है कि सीएनजी वाहनों के टोटल रजिस्ट्रेशन में गिरावट आई है। अक्टूबर में देश में 92,658 सीएनजी वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जबकि दिसंबर 2022 में यह घटकर 85,837 पर आ गया। वैसे तो प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर के महीने में बढ़ोतरी देखी गई। उस महीने सीएनजी वाहनों की कुल पंजीकरण संख्या एक लाख को पार कर गई।
सीएनजी की कीमत में लगातार इज़ाफा
गौरतलब है कि उद्योगपतियों ने सीएनजी वाहनों में गिरावट के लिए सीएनजी की ऊंची कीमतों और डीजल-पेट्रोल की स्थिर कीमतों को जिम्मेदार ठहराया है। दिल्ली में सीएनजी के एकमात्र आपूर्तिकर्ता इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने मार्च 2022 की शुरुआत में सीएनजी की कीमतों को 15 गुना बढ़ाकर लगभग 58 रुपये प्रति किलोग्राम से 17 दिसंबर को 79.56 रुपये कर दिया।