Delhi News: अवैध निर्माण के टूटने पर देना होगा पड़ोसी को हर्जाना, कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

 

अवैध निर्माण तोड़े जाने के दौरान पड़ोसी के घर में आई दरारों को लेकर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अवैध निर्माण अवैध कार्य है, जबकि इसे गिराना दिल्ली नगर निगम (MCD) का कर्तव्य था। तीसरे पक्ष की कोई गलती नहीं है, इसलिए वह मुआवजा पाने का हकदार है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिस व्यक्ति ने अवैध निर्माण किया है, वह प्रतिवादी के घर को हुए नुकसान की भरपाई करे।

 

कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

प्राप्त जानकारी के अनुसार, द्वारका स्थित अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सचिन जैन की अदालत ने कहा कि अवैध निर्माण एक अवैध कार्य था, जबकि अवैध निर्माण को गिराना दिल्ली नगर निगम (MCD) का कर्तव्य था। ऐसे में तीसरे पक्ष, जिसकी कोई गलती नहीं थी और उसका घर खतरे में आ गया। इसके लिए वह मुआवजे का हकदार है। अदालत ने अवैध निर्माण में शामिल व्यक्ति को पड़ोसी परिवार को मुआवजे के तौर पर 5 लाख 75 हजार रुपये देने का निर्देश दिया हैं। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस रकम पर कोई ब्याज देने की मांग खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि, प्रतिवादी पड़ोसी पर पहले ही जुर्माना लगाया जा चुका है। अभी नया मुद्दा उठाना उचित नहीं है।

 

सटे मकान को आरोपी ने खरीद लिया था 

याचिकाकर्ता के अनुसार, वह पिछले 13 साल से इस समस्या का सामना कर रहा है। वर्ष 2010 में उसके घर से सटे मकान को आरोपी ने खरीद लिया था। जब उन्होंने इसे फिर से बनाने के लिए नष्ट किया, तो याचिकाकर्ता के घर की एक दीवार में दरार आ गई, जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस से की। इस संबंध में मामला भी दर्ज किया गया था। वर्ष 2016 में, उत्तरदाताओं ने अपने घर का निर्माण किया, जिसे दिल्ली नगर निगम द्वारा अवैध निर्माण करार दिया गया था। जब उन्होंने इस अवैध निर्माण को तोड़ना शुरू किया तो याचिकाकर्ता के पूरे घर में दरारें आ गईं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।