राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव (MCD) समाप्त हो चुके है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने बहुमत से इस चुनाव को जीत लिया है। इसके पीछे कई सारी वजह हैं। जिसमें कूड़ा पॉलिटिक्स भी है, आप ने वादा किया था कि चुनाव जीतकर वह कूड़े के पहाड़ को हटा देंगे। राष्ट्रीय राजधानी तीन तरफ से कूड़े के पहाड़ से घिरी हुई है। इसके अंतर्गत खासकर दिल्ली के गाजीपुर स्थित कूड़े के ढेर पर चुनाव से पहले खुद आरोप प्रत्यारोप हुए थे और राजनीतिक पार्टियों ने इसकी सफाई का वादा भी किया था। यह कूड़े के पहाड़ लगभग 65 मीटर ऊंचे हैं। कूड़े के पहाड़ के कारण वैसे तो आए-दिन छोटे-मोटे हादसे होते रहते हैं,परंतु क्या हो जब एक दिन यह कूड़े के पहाड़ पूरा गिर जाए, तो क्या होगा ? देश-दुनिया में ऐसी दुर्घटनाएं कई बार घटित हो चुकी हैं।
कोशे गारबेज लैंडस्लाइड घटना
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में मार्च 2017 में अफरातफरी मच गई। क्योंकि यहां कूड़े का पहाड़ गिर पड़ा था। जिसके नीचे दबकर सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। जब मलबा हटाया गया तो उस दौरान उसमे से जहरीली गैस निकलने लगी और कार्य ठप पड़ गया। जिसके कारण लोगों को धीरे धीरे निकाला जा सका। जब गिनती शुरू हुई तो पता लगा कि 120 से ज्यादा लोगों की कचरे के नीचे दबकर मौत हो चुकी हैं। इस डाटा की पुष्टि नहीं है परंतु स्थानीय लोगों का कहना इससे ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
ये खतरे लाता है कूड़े का पहाड़
चलिए अब जानते है कि कूड़े के पहाड़ का गिरना ही खतरा नहीं है बल्कि इसके कई दूसरे नुकसान भी हैं। कचरे के अंदर कई तरह-तरह की चीजें होती हैं। इनमें प्लास्टिक भी होगा, दवाएं-खतरनाक केमिकल भी, और खाना भी। ये सब मिलकर बैक्टीरियल ब्रेक-आउट पैदा करते हैं, जिससे जहरीली गैसें बनाती हैं। जैसे कि मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड। इनके अलावा कुछ प्रतिशत अमोनिया, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन जैसी गैसें भी उत्सर्जन होती हैं। यह एक बहुत बड़ा रिस्क है। इसके अलावा कूड़े में गैस मौजूद होने के कारण उसमे से गर्मी निकलती है। अगर इसके भीतर कोई फंस जाए, तो हाइपरथर्मिया भी उसकी मौत की वजह बन सकता हैं।