देश की ताजनगरी दिल्ली की एक अदालत के जज ने जामिया हिंसा मामले से खुद को अलग कर लिया है। यह वही जज हैं, जिन्होंने हाल ही में 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शारजील इमाम और आसिफ इकबाल तन्हा और नौ अन्य को बरी किया था। फिलहाल इन्होंने अब व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इसी तरह के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा दिसंबर 2019 में जामिया नगर में हुई हिंसा के संबंध में एक मामले की सुनवाई कर रहे थे।
जामिया हिंसा मामले से खुद को अलग किया
आपको बता दें, न्यायाधीश ने शुक्रवार को पारित एक आदेश में कहा,
“व्यक्तिगत कारणों से, मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रहा हूं। तदनुसार, वर्तमान मामले को मुख्य जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दक्षिण पूर्व जिला, साकेत के न्यायालय के समक्ष 13 फरवरी को दोपहर 12 बजे पोस्ट किया जाता है। मामले को स्थानांतरित करने के अनुरोध के साथ रखा जाए।”
विरोध की आवाज़ को प्रोत्साहित करना चाहिए
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक न्यायाधीश ने 11 लोगों को यह कहते हुए छुट्टी देने का आदेश दिया था कि आरोपियों को पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है। निचली अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि विरोध की आवाज को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए न कि उसे दबाया जाना चाहिए। न्यायाधीश ने कहा था कि कानूनी कार्यवाही लापरवाही और गुंडागर्दी में शुरू की गई थी और उन्हें लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे की कठोरता से गुजरने की अनुमति देना, देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं है।
साल 2019 में हुए थे दंगे
गौरतलब हैं कि दिसंबर 2019 में, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और पुलिस के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों के बीच झड़प के बाद हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा एक FIR दर्ज की गई थी। वर्तमान मामले में मीरान हैदर, आशु खान, कासिम उस्मानी, मोहम्मद हसन, मोहम्मद जमाल, मोहम्मद साहिल मुदस्सिर, फहीम हाशमी, समीर अहमद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद आदिल, रुहुल आमिर, चंदन कुमार और साकिब खान भी आरोपी हैं।