राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1 जनवरी यानी की नए साल वाले दिन एक दुखद घटना देखने को मिली थी। दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में सड़क पर एक लड़की का मरी हुई अवस्था में नग्न शरीर देखने को मिला था। जब पुलिस ने मामले की जांच में CCTV फुटेज देखी तो, उनकी आंखें खुली की खुली रह गई, लडकी को 3 किलोमीटर तक घसीटा गया था।
वहीं दूसरी वारदात 1 जनवरी को ही फोन खोसने की हुई। पुलिस ने 10 दिन तक 15 किमी खाक छान 200 से ज्यादा सीसीटीवी खंगाले। जिसके बाद पुरानी दिल्ली के दो झपटमार हत्थे चढ़े। अर्थात् इन संगीन अपराधों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली की तीसरी आंख यानी कि सीसीटीवी कैमरे तैनात हैं। चलिए आज हम आपको इनके जाल के बारे में बताते हैं।
सीसीटीवी कैमरा है प्रशासन की तीसरी आंख
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक भारत सरकार से लेकर आम जनता भी अब सीसीटीवी कैमरे (CCTV CAMERA) की भूमिका को लेकर अहमियत समझने लगी हैं। राजधानी दिल्ली में घरों से लेकर सड़कों तक, चौराहों से मोहल्लों तक, सरकारी परिसरों से ऑफिसों तक इनका जाल बिछा हुआ है। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि वह 2 लाख 75 हजार कैमरे अभी तक लगा चुकी हैं। वहीं जबकि 1 लाख 40 हजार और करने जा रही है। सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली पुलिस अपने कैमरों की तादाद 23,827 करने जा रही है। निगेहबान योजना के तहत आरडब्ल्यू-एमडब्ल्यूए के लगाए 2 लाख 66 हजार 60 कैमरे भी पुलिस की जद में हैं।
सीसीटीवी कैमरे की आज से साल 2022 में 837 केस सुलझे
गौरतलब हैं कि सीसीटीवी फुटेज (CCTV footage) से अपराधियों और वारदात में इस्तेमाल गाड़ियों की पहचान होने से कई मुश्किल केस चुटकियों में सुलझे हैं। दिल्ली पुलिस के द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता हैं कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से उसे 2021 में 1080 केस सुलझाने में मदद मिली थी, जबकि 2022 में 837 मामले सुलझाए गए। वेस्ट जिले ने 2021 में सबसे ज्यादा 169 केस तो ईस्ट जिले ने 2022 में 119 केस फुटेज से सुलझाए गए। द्वारका जिले को 2021 में सबसे कम 19 में तो 2022 में नई दिल्ली जिले के 13 केसों में सीसीटीवी कैमरे बहुत लाभदायक साबित हुए।