Delhi Bureau News: 14 साल का बच्चा अकेले लड़ा 3 आतंकियों से , परिवार को बचा लिया लेकिन खुद अपने आप को नहीं बचा पाया, खबर पढ़ कर आजाएंगे आसूं

आप भी सोच रहे होंगे वीलचेयर पर बैठा शांत सा लड़का आखिर कोन हैं? इनका नाम सौम्यदीप है, जो सबके लिए बहादुरी की मिसाल हैं। मात्र 13 साल की उम्र ने सौम्यदीप ने अपने माता, पिता, छोटी बहन को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। और आतंकियों के मनसूबों को नाकामयाब कर दिया था, परंतु खुद घायल हो गया था। उसे गोली लगी थी। 5 सर्जरी करने के बाद जान तो बच गई थीं, परंतु अब वह व्हीलचेयर पर है। सौम्यदीप अब सुन नहीं सकता, ना ढंग से देख पाता हैं, उसे लकवा हैं। वह अच्छे से न बात कर पाता है और न ही खड़ा हो पाता है। 2020 में नैशनल ब्रेवरी अवॉर्ड से सम्मानित सौम्यदीप पर पिता को गर्व है। हालांकि बच्चे को हालत देखकर उनका दर्द भी छलक पड़ता है। वह परेशान हैं कि सौम्यदीप की बाकी जिंदगी कैसे कटेगी? वह क्या करेगा? कौन उसे संभालेगा?

 

आतंकियों ने किया था हमला

बता दे, यह घटना 10 फरवरी 2018 की है। पश्चिम बंगाल के रहने वाली हरिपद जैना जम्मू में ड्यूटी के लिए तैनात थे और सेना में पर्सनल असिस्टेंट के पद पर थे। उनके ट्रांसफर की चिट्ठी आ गई थी। पैकिंग भी कर ली थी, जिसके बाद सुबह पोने पांच बजे फायरिंग की आवाज आती हैं। फायरिंग रेंज में था तो यह नॉर्मल बात लगी, परंतु फायरिंग उनकी तरफ बढ़ती ही जा रही थी। वह दरवाजे पर पहुंचे। सौम्यदीप अपनी मां और बहन के साथ कमरे में जाकर छुप गया। कोई फायर करता करता दरवाजे पर पहुंचा। बहुत कोशिश करने के बाद दरवाजा टूट गया। हरिपद बेड के नीचे छिप गए। एक आतंकी गेट पर रुका रहा, दूसरा बेड के पास खड़ा रहा और तीसरा उस रूम की तरफ गया, जहां परिवर के बाकी लोग थे।

 

बच्चे ने बचाई माता, पिता छोटी बहन की जान

उसके बाद आगे तीसरे आतंकी ने बहुत कोशिश की, गोली भी चलाई, लेकिन गेट नहीं खुला। सौम्यदीप ने सारे सामान से गेट को ब्लॉक कर दिया था। आतंकी ने गोली के साथ ग्रेनेड भी मारा। कुछ देर के बाद रूम से खून बाहर तक आ गया। आतंकी को लगा कि अंदर मौजूद आदमी मर गया। वह चला गया। सौम्यदीप की बहादुरी से आतंकियों का काफी समय लग गया। आर्मी पहुंच गई और आतंकी भी मारे गए।