राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहने लोगों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी हैं। लगभग 30 साल बाद एक बार फिर से दिल्ली वालों को डबल डेकर बस में बैठने को मिल सकेगा। परिवहन विभाग ने 10 डबल डेकर बसों का प्रस्ताव सरकार को भेजा हैं। सरकार के द्वारा मंजूरी मिलते ही G 20 शिखर सम्मेलन में ये बस चलाने का प्लान हैं। कुछ दिन पहले समीक्षा बैठक में डबल डेकर बसें चलाने की संभावनाएं तलाशने के एलजी के निर्देश के बाद से तैयारियां तेज हो गई हैं। 1970 के दशक में राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर डबल डेकर बसें शुरू की गईं थी। चालक दल के केबिन शुरू में यात्रियों से दो डेक पर अलग किए गए थे।
घटती उपयोगिता के चलते किया गया था बंद
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक इन्हें ट्रेलर बसों के रूप में जाना जाता था। कुछ वर्षों के बदलाव के बाद 1982 में श्रीनिवासपुरी डिपो (ओखला-1) डिपो से विभिन्न रूटों पर 20 डबल डेकर बसें चलाई गईं। इनमें मुद्रिका, लाल किला से प्रेस एन्क्लेव तक डबल डेकर बसें 1990 के दशक के प्रारंभ तक अन्य रूटों पर चलती रहीं, परंतु लेकिन बदलते दौर में इसकी घटती उपयोगिता और रिंग रोड पर बने पुल व फुटओवर ब्रिज की ऊंचाई को देखते हुए इसे बंद कर दिया गया।
25 डबल डेकर बसों का प्रस्ताव
आपको बताते चले कि परिवहन विभाग के अधिकारियों ने 25 डबल डेकर बसों का प्रस्ताव परिवहन मंत्री को भेज दिया है। इसके लिए संभावित रूट भी दिए गए हैं ताकि देश-विदेश के मेहमानों को दिल्ली में भी विश्व स्तरीय परिवहन सुविधा मिल सके। इससे पूर्व दिल्ली की सभी बसों में नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) की सुविधा भी दी जाएगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इसकी मंजूरी मिलते ही डबल डेकर बसों को जल्द से जल्द सड़कों पर उतारा जाएगा।
चुनिंदा रूटों पर ही चलेगी
दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की मुद्रिका (डबल डेकर) बसें पहले लाजपत नगर से कश्मीरी गेट के बीच चलती थीं। लाल किले के पीछे सलीमगढ़ पुल की ऊंचाई कम होने के कारण बसें कश्मीरी गेट से लाजपत नगर लौट जाती थीं। मुद्रिका बसें सड़क के उसी तरफ रिंग रोड पर लौटती हैं और फिर वहीं वापस आ जाती हैं, परंतु पुल के कारण इस रूट पर सिंगल डेकर बसें ही चल सकती हैं। माना जा रहा है कि जी-20 से पहले डबल डेकर बसें उन्हीं रूटों पर चलाई जाएंगी, जिनमें कम ऊंचाई वाले फुट ओवर ब्रिज या ब्रिज नहीं होंगे।