दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 20दिसंबर 2022 मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को रोगी के निवास स्थान की परवाह किए बिना नागरिकों को इलाज और उपचार प्रदान करना चाहिए। अस्पतालों को वोटर आईडी (Voter ID card) पर जोर देने की जरूरत नहीं हैं। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने बिहार के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अस्पताल दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को इलाज मुहैया करने से इंकार नहीं कर सकते। वहीं याचिका के अंदर आरोप लगाया गया है कि शहर के सरकारी लोक नायक अस्पताल (LNJP) ने केवल दिल्लीवासियों को मुफ्त एमआरआई (MRI) परीक्षण की सुविधा प्रदान की। वहीं दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह आश्वासन दिया है कि मरीज चाहे कहीं का निवासी हो उसके निवास स्थान पर किसी प्रकार का बेहदभाव नहीं किया जाएगा।
उपलब्धता के अनुसार एमआरआई की तारीखें दी जाएगी
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम ने इस याचिका पर कहा,
“याचिकाकर्ता को अपना मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, यह सिद्ध करने के लिए कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। उपलब्धता के अनुसार एमआरआई (MRI) की तारीखें दी गई थीं।”
वहीं अदालत ने कहा अस्पताल यहां मतदाता पहचान पत्र के लिए जोर नहीं दे सकते, एम्स या दिल्ली के किसी अन्य अस्पताल में, आप नागरिकों को बाहर से आने (और इलाज कराने) से नहीं रोक सकते।
पहचान पत्र रखने वालों को दिया जा रहा उपचार
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा,
“अस्पताल ने बाहरी लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण रुख अपनाए हुए याचिकाकर्ता के घुटने के एमआरआई स्कैन के लिए जुलाई 2024 तारीख दी थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दिल्ली के मतदाता पहचान पत्र रखने वाले लोगों को त्वरित उपचार दिया गया और बाहरी लोगों को लंबी तारीखें दी गईं हैं।”