दिल्ली सरकार की गुटखा, पान मसाला, सुगंधित तंबाकू और इसी तरह के अन्य उत्पादों को बनाने, स्टोर करने, वितरण और बिक्री पर रोक लगाने वाली अधिसूचनाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। साल 2015 के बाद से ऐसी लगभग 7 अधिसूचनाएं जारी की गई थीं।
दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद से दिल्ली में तंबाकू से बने उत्पादों को बनाने और बेचने पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा। लेकिन तंबाकू से बने उत्पादों के संबंध में केंद्र सरकार का कानून लागू रहेगा, जो सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन और व्यापार को रेगुलेट करता है।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस गौरांग कंठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि तंबाकू को फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी एक्ट (एफएसएसए) के तहत ‘भोजन’ नहीं माना जा सकता है।
एफएसएसए और सीओटीपीए दोनों अलग क्षेत्रों के लिए हैं। एफएसएसए “फूड इंडस्ट्री” पर लागू होता है, जबकि सीओटीपीए “तंबाकू इंडस्ट्री” को रेगुलेट करने के लिए बना है। इसीलिए एफएसएसए सीओटीपीए के प्रावधानों को निरस्त नहीं कर सकता है। ।
वहीं हाई कोर्ट ने तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचनाओं को रद्द करते हुए,ऐसे प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल की निंदा की है। इसी के साथ जस्टिस कंठ ने कहा है कि यह अदालत तंबाकू के धुआं रहित या धूम्रपान, दोनों तरह से इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों और बीमारियों के प्रति सचेत है।
इसलिए अदालत का मानना है कि तंबाकू का इस्तेमाल हर रूप में लोगों की सेहत के लिए हानिकारक है। इसीलिए अदालत किसी भी तरह से तंबाकू के इस्तेमाल की निंदा करती है।