राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election) चुनाव में पूर्ण बहुत लेकर एमसीडी में अपना कब्जा जमा लिया है और बीजेपी (BJP) के 15 साल के सत्ता को उखाड़ फेका हैं। दिल्ली निगम चुनाव (MCD) में इस बार कचरे के पहाड़ और साफ-सफाई का मुद्दा भी छाया हुआ है। इस विषय पर काम करने की जिम्मेदारी निगम के नवनिर्वाचित सदस्यों पर बढ़ गई है। इन नवनिर्वाचित सदस्यों को गली-मोहल्ले, सड़कों और बाजारों की सफाई और कचरे के पहाड़ को खत्म करने पर गंभीरता से कार्य करना होगा।
रोजाना 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर दिल्लीवासी कूड़ा करकट को इधर-उधर नहीं फेंकेंगे तो साफ-सफाई बेहतर हो सकती है, पर शर्त यह है कि सही जगह पर डाला गया कूड़ा नियमित रूप से उठाया जाए। दिल्ली में कचरे के पहाड़ (गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल) को खत्म करने के लिए हमें नया कचरा डालना बंद करना होगा। दिल्ली निगम की बात करें तो रोजाना 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है। ओखला लैंडफिल के पास 2000 मीट्रिक टन क्षमता के नए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के बाद नया कचरा डंपिंग पूरी तरह से बंद हो गया है, परंतु कचरा डंपिंग का कार्य गाजीपुर और भलस्वा में भी ऐसा रोजाना होता है। ट्रैम्पल मशीनें कचरे के पहाड़ों को खत्म करने के लिए प्लास्टिक और अन्य सामग्रियों को पुराने कचरे से अलग करती हैं। बता दें कि भलस्वा लैंडफिल पर 44 ट्रैम्पल मशीनें चल रही हैं। इससे प्रतिदिन 10 हजार मीट्रिक टन कूड़े का सफाया होता है। ओखला पर 26 और गाजीपुर लैंडफिल पर 10 ट्रैम्पल मशीनें चल रही हैं। तीन हजार मीट्रिक टन नया कूड़ा इन लैंडफिल पर डलता है।
500 से ज्यादा अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन नहीं है
राष्ट्रीय राजधानी में गंदगी का कारण सीवरेज सिस्टम भी है, क्योंकि कई कॉलोनियों में सीवर लाइन नहीं होने से सीवर नालों में बहकर यमुना में पहुंच जाता है। दिल्ली में 500 से ज्यादा ऐसी अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जिनमें सीवरेज लाइन नहीं है। वर्तमान में, दिल्ली जल बोर्ड ने 35 स्थानों पर सीवरेज उपचार संयंत्र स्थापित किए हैं। इनकी क्षमता 597 मिलियन गैलन लीटर प्रतिदिन है। दिल्ली में 768 एमजीडी सीवरेज के जरिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। इस स्थिति में 171 एमजीडी सीवरेज का ट्रीटमेंट ही नहीं हो पाता है।