राजधानी दिल्ली के सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहने वाला विश्वविद्यालय जेएनयू यानी की जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी यह अपने राजनीति के लिए भी बहुत ज्यादा फेमस हैं। अभी कुछ दिनों पहले जेएनयू के परिसर में दीवारों पर जातिवाद नारे देखने को मिले थे, जिसके बाद यह एक बहुत बड़ा बहस का मुद्दा बन गया। जेएनयू (JNU) के कई दीवारों की परिसर पर जातिवाद नारे लिखने के बाद अब परिसर में सीसीटीवी (CCTV) कैमरे लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसको लेकर अलग अलग छात्र संगठनों का अपना अलग-अलग मत है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की मांग है कि जल्दी से जल्दी जेएनयू (JNU) की सभी सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी (CCTV) कैमरे लगाए जाएं। जबकि वामपंथी के छात्र संगठनों का कहना है, “परिसर में पहले भी कई जगहों पर सीसीटीवी (CCTV) कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन उनका एक पक्ष के रूप में ही उपयोग किया गया है।”
वामपंथी छात्र संगठन ने दिया अपना बयान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेएनयू परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के बात पर वामपंथी छात्र संगठनों ने कहा, “इसलिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं तो उनका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जब भी कभी जेएनयू में कोई घटना होती है तो सीसीटीवी कैमरे बंद ही मिले हैं। इसलिए जेएनयू प्रशासन सबसे पहले परिसर में यह गंभीर घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और जिम्मेदारों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करे।”
जेएनयू में लिखे गए थे जातिवाद नारे
गौरतलब है कि जेएनयू में 1 दिसंबर 2022 गुरुवार को स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की दीवारों पर जातिवादी नारे देखने को मिले। इन नारों में लिखा था “ब्राह्मणों भारत छोड़ो”। दूसरे नारे में लिखा था “ब्राह्मणों कैंपस छोड़ो”, एक जगह लिखा था “गो बैक टू शाखा” यानी किशाखा में वापस जाओ। एक नारा यह भी था “खून बहेगा”। यह घटना सामने आने के बाद एबीवीपी (ABVP) के जेएनयू अध्यक्ष रोहित और अन्य नेताओं ने आरोप लगाया कि वामपंथी संगठन के छात्रों ने यह करतूत की है। वे जेएनयू कैंपस में फिर से तनाव फैलाना चाहते हैं। दूसरी तरफ वामपंथी ग्रुप के छात्रों ने आरोप लगाया कि यह खुद एबीवीपी के लोगों की हरकत है। वे इसकी आड़ में जेएनयू प्रशासन और पुलिस की मदद लेकर वामपंथी आवाजों को कैंपस में दबाना चाहते हैं।