एमसीडी चुनावों का शंखनाद बजा हुआ है। सारी पार्टी अपने अपने चुनाव प्रचार में लगी हुई है। वार्डों के परिसीमन को एक करने के बाद 250 वार्ड्स हो गए है। सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी हैं। इस बार एमसीडी (MCD) के 250 वॉर्डों पर तीन प्रमुख पार्टियों के 750 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इनमें सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार हैं। इन मुख्य तीन पार्टी, भाजपा, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस सारी पार्टियों को मिलाकर 750 उम्मीदवार हैं। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि इसके परिणाम 7 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
एमसीडी का इतिहास पुराना
प्राप्त जानकारियों के अनुसार दिल्ली नगर निगम (MCD) दुनिया के सबसे बड़े स्थानीय इकाइयों में से एक है। यह जापान को राजधानी टोक्यो के बाद दुनिया की सबसे बड़ी नागरिक निकाय यानी की सिविक बॉडी है। वर्तमान समय में हम जिस एमसीडी (MCD) को हम देखते है। यह तमाम बदलावों के साथ इस स्थिति तक पहुंचा है।इसे कभी जनता की सेवा की जरूरतों के आधार पर नया रूप दिया गया तो कभी राजनीतिक फायदे के लिए इस संगठन का रंगरूप और आकार तो कभी प्रकार बदला गया। दिल्ली की लोकल बॉडी के गठन का प्रूफ 1860 के दशक में मिलता है। लगभग सौ साल के करीब दिल्ली की लोकल बॉडी का ढांचा बनता-बिगड़ता रहा। दिल्ली में आधुनिकरण के साथ एमसीडी (MCD) का 1958 में जन्म हुआ। जिसके लिए सन् 1957 दिसंबर में संसद ने एक बिल पास किया था। उस समय दिल्ली में कम से कम 12 ऐसी एजेंसियां थीं जो दिल्ली में वो सब चीजें देखती थीं जो आज एमसीडी देख रही है।
वार्डों का किया दोबारा एकीकरण
वर्ष 2011 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने एमसीडी (MCD) को 3 भागों में बांटा था परंतु केंद्र सरकार ने इन सभी वार्डो का दोबारा से एकीकरण कर दिया है। राज्य चुनाव आयोग ने ईवीएम (EVM) को पहले ही लगा दिया गया है। आपको बता दे कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में दिल्ली के 250 वार्डों पर चुनाव होगा। इससे पहले दिल्ली नगर निगम तीन भागों में विभाजित था और कुल 272 वार्ड थे। हालांकि नए परिसीमन करने के बाद वार्डों की संख्या घटाकर 272 से 250 कर दी गई है।