बालकनी से गिरकर हर महीने पहुंच रहे 10 से 12 बच्चे दिल्ली AIIMS , आपका बच्चा भी तो नहीं कर रहा कहीं यह गलती?

राष्ट्रीय राजधानी के एआईआईएमएस (AIIMS) दिल्ली ट्रॉमा सेंटर में हर महीने एवरेज दस से बारह बच्चे हर महीने बालकनी से गिरकर इलाज करवाने पहुंचते है। इनमें ज्यादातर बच्चों की चोट सीरियस होती है और उनकी हालत बहुत क्रिटिकल हालत में पहुंच जाती है। जिसके कारण हर महीने दो से तीन बच्चे की मौत भी हो जाती है। अंगदान (organs donate) प्रोग्राम के तहत पिछले दिनों 3 बच्चों के माता पिता ने अंगदान भी किया, परंतु दिल्ली एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों का कहना है कि यह एक ऐसी लापरवाही और जागरूकता की कमी है, जिसमें सुधार लाकर इस घटना को रोका जा सकता है। इसी को देखते हुए एआईआईएमएस (AIIMS) ने ‘सुरक्षित छज्जा, सुरक्षित बच्चा’ कैंपेन की शुरुआत की है।

 

बच्चों के बालकनी से गिरने की घटनाएं

गुरुग्राम में जुलाई 2022 को सातवें फ्लोर की बालकनी से गिरने से 15 साल के बच्‍चे की मौत हो गई।

दिल्‍ली में फरवरी 2022 में बालकनी से गिरकर बेटी और पिता की मौत हुई।

फरीदाबाद में फरवरी 2022 में चौथे माले की बालकनी से गिरकर 8 साल के बच्‍चे की मौत हो गई।

नोएडा में नवंबर 2021 में 10वें फ्लोर की बालकनी से गिरकर तीन साल के बच्‍चे की मौत हुई।

 

बच्चे क्यों चढ़ते हैं रेलिंग पर

आसपास के क्षेत्रों को देश दुनिया को जानने के लिए बच्चे रेलिंग पर चढ़ते है जो की नेचुरल स्वभाव हैं।

इनको ऊंचाई से गिरने के लिए रोकना जरूरी। जिससे बच्चे को ब्रेन इंजरी या मौत हो सकती हैं।

जितनी ऊंचाई होगी उतना ही मरने के चांस और गंभीर चोट के चांस होते हैं।

देश में बालकनी या रेलिंग से गिरने से लगने वाली चोट सबसे बड़ा कारण हैं।

 

रेलिंग को सुरक्षित बनाने के लिए यह करे

छज्जे की रेलिंग पर जाल लगाएं।

यदि जरूरी हो तो रेलिंग की ऊंचाई बढ़ाएं।

बालकनी के फर्नीचर को रेलिंग में न रखें।

खेलने के लिए बच्चों को बालकनी का इस्तेमाल न करने दें।

हर समय बच्चे की निगरानी करें।

बच्चे की सुरक्षा के लिए बालकनी के दरवाजे बंद करके रखें।