राजधानी दिल्ली के छावला थाने इलाके में हुए गैंगरेप मामले में दिल्ली महिला आयोग ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ली हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने इस कार्य को लेकर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। महिला आयोग के द्वारा जारी किए गए इस नोटिस में मृतक पीड़िता के परिवार को कड़ी सुरक्षा देने के लिए दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा है। प्राप्त जानकारियों के मुताबिक दिल्ली के छावला की रहने वाली एक 19 वर्षीय लड़की के साथ वर्ष 2012 में उसके 3 पड़ोसियों द्वारा लड़की का बलात्कार करके उसे मार दिया गया था। पीड़ित के घरवालों की शिकायत के बाद मामला दिल्ली हाई कोर्ट और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा परंतु 11 साल बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है। सबूतों के अभाव के कारण।
सुप्रीम कोर्ट ने किया निर्भया रेप केस के आरोपियों को बरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित निर्भया की मां आशा ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जांच में कहीं कोई कमी है तो पुलिस को इसकी पुनः जांच करनी चाहिए। अगर फैसला बदलना ही था, और पर्याप्त सबूत नहीं थे तो फांसी हटा कर उन्हें उम्र कैद की भी सजा दी जा सकती थी। ऐसा कैसे हो सकता है कि दो कोर्ट से फांसी की सजा पाए दोषियों को सीधे सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। अगर कहीं जांच में कमी पाई गई है तो पुलिस की गलती का खामियाजा हम क्यों भुगते?” पीड़िता की मां ने सरकार से इस मामले पर दोबारा से सुनवाई की अपील के हैं। पीड़िता के परिवार की मांग है इस मामले की दोबारा से जांच होनी चाहिए।
हैवानों ने किया था लड़की के साथ जानवरों जैसा व्यवहार
गौरतलब हैं कि निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। बलात्कार के बाद लड़की की आंखों में तेजाब डाला गया और लड़की के गुप्तांगों में कांच की बोतल डाली गई परंतु वह हैवान यहीं तक नहीं रहे, उन हैवानों ने बाद सिगरेट और लोहे की रॉड से लड़की के गुप्तांगों कोजलाया गया और यह सब करने के बाद, बाद में लड़की की हत्या कर दी गई।