भारत में काफी पुराने समय से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। परंतु महामारी के कारण वश 2 साल से किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा था।
लेकिन अब महामारी के दो सालों बाद एक बार फिर से दिल्ली में दुर्गा पूजा उत्सव को आयोजित करने की तैयारियां चल रही है। जिसके लिए कलाकार पंडाल लगाने व दुर्गा मां की मूर्तियों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। आपको बता दें कि कोलकाता भले ही के मां के पूजा पंडालों का आकर्षण केंद्र हो पर दिल्ली की श्रद्धा में भी कुछ कमी नहीं है।
यहां हर साल एक से बढ़कर एक दुर्गा पूजा के पंडालों का आयोजन किया जाता हैं।जिनका अपना ही भव्य इतिहास होता है। एक ऐसी ही पुरानी दुर्गा पूजा तिमारपुर-सिविल लाइंस पूजा समिति करती है।जानकारी के मुताबिक़ ये समिति 109 साल पुरानी है।
जोकि 1914 से ही तिमारपुर के सरकारी आवासीय कालोनी के पास आर्या समाज मंदिर के दुर्गा पूजा ग्राउंड में दुर्गा पूजा करती आ रही है। इस वर्ष इसके भव्य आयोजन की भी तैयारी हो रही है। महामारी की पाबंदियों के चलते 2 वर्ष से इसका आयोजन केवल समिति के कुछ सदस्यों की मौजूदगी में हुआ था।
इसके इतिहास की बात करें तो, जब देश की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी तो,वहां से अंग्रेजी अधिकारियों के साथ बंगाल के सरकारी बाबू भी दिल्ली आएं। ऐसे में दुर्गा पूजा आती थी तो अधिकतर बंगाली कर्मचारी वापस दुर्गा पूजा मनाने के लिए कोलकाता चले जाते थे। जिसके कारण से सरकारी कामकाज 15 से 20 दिनों के लिए रुक जाता था।
अंग्रेजों ने इस समस्या को दूर करने के लिए बंगाल से कलाकारों को बुलाकर मूर्ति बनवाई और पूजा को दिल्ली में करने के लिए जगह व संसाधन दिए। जिससे धीरे-धीरे लोग दुर्गा पूजा का आयोजन दिल्ली में ही करने लगे।
तिमारपुर-सिविल लाइंस पूजा समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूजा सन् 1910 से शुरू हुई थी। अधिकारिक रूप से समिति को वर्ष 1914 में पंजीकृत कराया गया था। आज भी पूजा का आयोजन उसी जगह पर किया जाता हैं जिस स्थान पर तब पूजा शुरू हुई थी।
इस समिति से जुड़ी 82 वर्षीय रमा चटर्जी ने बताया कि समिति में हमेशा महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। और नाटक भी महिलाएं ही आयोजित करती हैं। हर वर्ष पूजा की एक नई थीम होती है।जैसे इस वर्ष दिव्यांग बच्चों को आर्थिक मदद को लेकर कार्य किया जाएगा।