दिल्ली में अपने बहुत सी जगहों के बारे में सुना होगा जो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है, तो कुछ बहुत ही ज्यादा ऐतिहासिक। यहां तक की आपने हॉन्टेड साइट्स के बारे में भी ज़रूर सुना होगा, जिसमें दिल्ली कैंट, संजय वन, मालचा महल आदि आता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा।
इस जगह का नाम है भूली भटियारी महल,ये जगह दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके करोल बाग में हैं। भीड़भाड़ वाले इलाके में होने के बावजूद भी इसके बारे बहुत ही कम लोगों को पता है। बता दें कि करोल बाग में बग्गा लिंक से एक रोड वीरान जंगल की तरफ जाती है। जहां भूली भटियारी महल है,लेकिन वहां पर जाना वर्जित है।
जिसके लिए यहां पर एक बोर्ड भी लगाया गया है, जिसपर लिखा है-‘सूर्यास्त के बाद यहां जाना मना है‘। बहुत से लोगों का मानना है कि इस महल में एक रानी की आत्मा भटक रही है। बता दें कि यहां कई लोगों ने पैरानॉर्मल एक्टिविटीज़ और आत्माओं के साए को महसूस किया है। इसी के साथ कुछ लोगों का कहना है कि, अगर रात के वक़्त कोई इसके अंदर जाता है, तो वो वापस नहीं आता।
वहीं अगर आप इस वीरान और खंडहर महल में जाने की कोशिश भी करेंगे, तो दिल्ली पुलिस आपको यहां जाने नहीं देगी। लोगे को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस शाम होते ही इस महल की ओर जाने वाले रोड के मोड़ पर बैरिकेड्स लगा देती है।इस भूतिया भूली भटियारी महल को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं।
जिसमें से पहली है कि इस जगह का नाम तुगलक वंश के सूफी संत बल-अली-बक्थियारी के नाम पर रखा गया था। जिसे आम लोगों ने तोड़-मरोड़कर भूली भटियारी कहना शुरू कर दिया।दूसरी ये है कि, यहां राजस्थान से आई भटियारिन जनजाति की एक लड़की रास्ता भूल गई थी। जिसके बाद से ही इसे ये नाम दे दिया गया।
और इससे सम्बंधित तीसरी कहानी ये है कि, तुगलक वंश के एक राजा को अपनी रानी से बहुत प्यार था। इस जगह वो अकसर शिकार करने आते थे।लेकिन एक दिन उन्होंने अपनी रानी को उनसे बेवफाई करते देख लिया। जिसके बाद से उसने अपनी रानी को इस महल में ज़िंदगी भर भटकने के लिए छोड़ दिया।
जिस पर लोगो का कहना है कि वो रानी यहीं भटकते-भटकते मर गई।अब उसी की आत्मा इस महल में अपने कातिल पति से बदला लेने के लिए भटक रही है।
जानकारी के लिए बता दें कि इतिहासकारों का कहना है कि भूली भटियारी महल को फ़िरोज़ शाह तुगलक ने 14वीं शताबदी में बनवाया था। जिसका इस्तेमाल वो शिकारगाह के लिए करते थे। उनके मुताबिक इस महल का नामकरण, इसकी देख-रेख करने वाली महिला भूरी के नाम पर किया गया था।