अब दिल्ली के पेड़ लगाए जाएंगे इन राज्यों में, यहां जाने इसकी वजह

देश की राजधानी दिल्ली में सरकार प्रदूषण को कम करने हरियाली लाने के लिए पौधारोपण का अभियान चला रही है। जिसके लिए सरकार लोगों को जागरूक कर रही है कि वह पौधारोपण करें।पौधारोपण के लिए जमीन की आवश्यकता होती है।

आपको बता दें कि सरकार यह पौधारोपण का अभियान तो चला रही है लेकिन दिल्ली में जमीन की कमी के कारण यह अभियान ठीक ढंग से नहीं चल पा रहा है। इसी बीच केंद्र सरकार प्रतिपूरक पौधारोपण के लिए दिल्ली को अन्य राज्यों में जमीन उपलब्ध करा सकती है।

इसी के चलते दिल्ली में पौधारोपण के लिए जमीन की कमी का मुद्दा जल्द ही सुलझ सकता है। इसके तहत एनसीआर क्षेत्र में भी जगह मिल सकती है।

आपको बता दें कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने प्रतिपूरक पौधारोपण के लिए दिल्ली सरकार को जमीन उपलब्ध कराने में माना कर दिया है। डीडीए कहना है कि उनके पास जमीन नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि मुख्य सचिव को दो बार पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट की जा चुकी है।

डीडीए उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता की ओर से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन की सचिव लीना नंदन को पत्र लिखा था। जिसमे उन्होंने कहा था कि,”जमीन की कमी होने के कारण द फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के तहत प्रतिपूरक पौधारोपण के लिए भूमि उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है।”

उन्होंने ये भी कहा कि जमीन के जो छोटे छोटे टुकड़े बचे हैं, जोकि दिल्ली के विकास और इसकी अन्य जरूरतों के लिए हैं। मास्टर प्लान के तहत जो 15 प्रतिशत क्षेत्र इस उद्देश्य के लिए रखा गया है, वह भी 20 प्रतिशत तक भर चुका है।

इसके साथ ही पत्र में उन्होंने कहा कि 42 साल पहले बनाए गए द फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के नियमाें में बदलाव करना बहुत जरूरी है। क्योंकि सन 1990 के बाद से दिल्ली में कोई भू अधिग्रहण नहीं हुआ है। प्रतिपूरक पौधारोपण के लिए दिल्ली को अन्य राज्यों में भी जगह दी जा सकती है। क्योंकि दिल्ली राज्य नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र है।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसी को मद्देनजर रखते हुए डीडीए के उक्त पत्र को फारेस्ट एप्रेजल कमेटी को सौंप दिया है। जिस पर कमेटी तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है।

उच्च पदस्थ के सूत्रों के मुताबिक डीडीए के सुझाव को स्वीकार करते दिल्ली के प्रतिपूरक पौधारोपण के लिए जल्द ही समीपवर्ती राज्यों में खाली पड़ी जमीन उपलब्ध कराई जा सकती है। स्वाभाविक रूप से यह जमीन एनसीआर क्षेत्र में मिलेगी।