दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को कबाड़ से बचाने के लिए एनओसी लेने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के बाद, राजधानी ने पिछले चार वर्षों में अन्य राज्यों में 4.36 लाख से अधिक वाहनों का पंजीकरण करके सालाना करोड़ों रुपये की बचत की। राष्ट्रीय राजधानी के परिवहन विभाग की सख्ती के बाद वाहन मालिक पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए दूसरे राज्यों की ओर पहल कर रहे हैं। हर साल औसतन 70-80 हजार से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में कराया जा रहा है, ताकि उन्हें कबाड़ होने से बचाया जा सके।
रजिस्ट्रेन हुआ था रद्द
आपको बता दें कि 2016 में एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्यों में अपनी अवधि पूरी कर चुके वाहनों पर सख्ती शुरू हो गई। दिल्ली में प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए पिछले तीन साल से चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत पुराने वाहनों को जब्त कर कबाड़ किया जा रहा है। इससे वाहनों को कबाड़ होने से बचाने के लिए एनओसी लेने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, दूसरे राज्यों में वाहनों के रजिस्ट्रेशन की अवधि खत्म होने से पहले एनओसी लेना जरूरी है। एनओसी मिलने के बाद वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराकर दूसरे राज्यों के शहरों में चलाया जा सकता है। अब तक कुल 436794 एनओसी जारी किए जा चुके हैं।
दिल्ली में अभी 79.72 लाख पंजीकृत वाहन हैं
राजधानी दिल्ली में अब तक कुल एक करोड़ 40 लाख 75 हजार 497 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। पंजीकरण अवधि समाप्त होने के बाद हर साल लाखों वाहन रद्द हो रहे हैं। इसके बाद सड़कों पर उतरने वाले या सड़कों पर खड़े वाहनों को भी जब्त कर कबाड़खाने भेजा जा रहा है। अब तक करीब 55 लाख वाहनों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है, जबकि 79.72 लाख पंजीकृत वाहन अब भी दिल्ली में हैं। परिवहन विभाग ने 29 मार्च से पुराने वाहनों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी।