देश की ताजनगरी दिल्ली के रैन बसेरों में रहने वाले निराश्रित लोगों को मिलने वाला तीन वक्त का खाना बुधवार से बंद कर दिया गया है। ऐसे हालात में रैन बसेरों में रह रहे 6 हजार से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है। राजधानी के रैन बसेरों में खाना सप्लाई करने का ठेका अक्षय पात्र एनजीओ के पास है। बताया जा रहा है कि करीब 2 साल से अक्षय पात्र को बिल का भुगतान नहीं किया गया है। इस वजह से खाने की सप्लाई बंद कर दी गई। उल्लेखनीय है कि सुबह की चाय, नाश्ता, लंच और डिनर की आपूर्ति की जिम्मेदारी अक्षय पात्र की है।
आश्रय प्रबंधन एजेंसी को देना होगा भोजन
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि भले ही अक्षय पात्र ने खाने की सप्लाई बंद कर दी है, परंतु किसी भी बेघर को भूखा नहीं रहने दिया जाएगा। पूरी दिल्ली में जितने भी रैन बसेरे चल रहे हैं, उनमें से 6 एनजीओ चल रहे हैं। इन एनजीओ को चलाने के लिए टेंडर दिया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर किसी कारण से खाद्य आपूर्ति एजेंसी भोजन की आपूर्ति नहीं कर पाती है, तो एनजीओ चलाने वाली संबंधित एजेंसी को बेघरों के लिए भोजन की व्यवस्था करनी होगी। सभी 6 एनजीओ को इस नियम का सख्ती से पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि नोटबंदी और कोरोना लॉकडाउन के दौरान भी ऐसी समस्या सामने आई थी और संबंधित एनजीओ को खाना सप्लाई करना था।
बीजेपी ने उठाया सवाल
वहीं दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार द्वारा दुसिब रैन बसेरों में बेघर निराश्रितों को दी जाने वाली भोजन सुविधा वापस लेने की निंदा की है। सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल सरकार बार-बार कुछ रैन बसेरों को बंद करने का प्रयास कर रही है। बीते एक साल में यह दूसरी दफा है कि जब केजरीवाल सरकार ने इन रैन बसेरों में रहने वाले बेसहारा लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अपना फंड रोका है। एक सीएम जो अपने घर की मरम्मत और घर में एक स्विमिंग पूल बनाने पर लगभग 55 करोड़ रुपये खर्च कर सकता है, प्रति माह कुछ लाख रुपये की लागत से रैन बसेरों और निराश्रितों के लिए भोजन की सुविधा बंद करना चाहता है।