Delhi News: MCD ने खोले 1000 विकल्प स्टोर, मेयर शैली ओबेरॉय ने किया शुभारंभ

दिल्ली नगर निगम ने शनिवार को 600 विकल्प स्टोर शुरू किए। उन्हें औपचारिक रूप से मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा लॉन्च किया गया था। निगम के पास पहले से ही 400 विकल्प स्टोर हैं। यदि उपभोक्ता घर से कपड़े का थैला लाना भूल जाता है तो वह इनमें से किसी भी दुकान से कपड़े का थैला उधार ले सकता है। निगम को उम्मीद है कि नागरिक इन 1000 वैकल्पिक दुकानों का लाभ उठाएंगे और प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग बंद कर देंगे। राजधानी दिल्ली में रोजाना 11,000 टन कचरा पैदा होता है, जिसमें से करीब 10 फीसदी प्लास्टिक कचरा होता है।

 

सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगा है प्रतिबंध

वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद से निगम ने 100 डेज टू बीट प्लास्टिक अभियान की शुरुआत की है। शनिवार को अभियान थम गया, परंतु दिल्ली के बाजारों में अब भी प्लास्टिक की थैलियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। इसके लिए दुकानदारों के साथ-साथ आम नागरिक भी जिम्मेदार हैं। ज्यादातर लोग जब घर से सामान खरीदने आते हैं तो उनके पास बैग नहीं होता है। इसलिए दुकानदार भी लोगों को प्रतिबंधित थैलों में सामान देने को विवश हैं।

 

पुरस्कार मिलेगा

बता दें, ढाई करोड़ से ज्यादा आबादी वाली दिल्ली में निगम ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने की भरसक कोशिश की है। इसके लिए निगम को 27 अप्रैल को मुंबई में होने वाले प्लास्टिक रिसाइक्लिंग सम्मेलन एशिया में अर्बन लोकल बॉडीज चैम्पियन अवार्ड से नवाजा जाएगा। महापौर ने इसके लिए निगम अधिकारियों और नागरिकों को बधाई दी, लेकिन कहा कि प्लास्टिक को खत्म करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।

 

100 दिन में 14164 किलो प्लास्टिक जब्त

गौरतलब है कि 100 डेज़ टू बीट प्लास्टिक अभियान के तहत, निगम ने विभिन्न बाजारों में 34 पीईटी बोतल क्रशर मशीनें स्थापित की हैं। लगभग 1596 चालान काटे गए और 14164 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया। इसे प्लास्टिक बेंच, बोर्ड और टी-शर्ट बनाने के लिए अधिकृत रीसाइक्लिंग केंद्रों में भेजा गया था। इसके अलावा निगम ने पार्क, मॉल, साप्ताहिक बाजार, मंडियां, सामुदायिक केंद्र, स्कूल, विश्वविद्यालय, रेस्टोरेंट, होटल, बैंक्वेट हॉल को प्लास्टिक मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा था। आरडब्ल्यूए, एनजीओ, रीसायकल स्टोर आदि के सदस्य शामिल हैं, लेकिन प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से बंद करना अभी भी निगम के लिए एक बड़ी चुनौती है।