ताजनगरी दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर अभी भी समय की पाबंदी है। यह पाबंदी मगरिब की नमाज के बाद से है। मग़रिब की नमाज़ शाम करीब 7:45 बजे है। उसके बाद कोई भी महिला या लड़की मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकती है। इस रोक को लेकर मस्जिद के गेट नंबर एक पर बोर्ड लगा दिया गया है। अंदर घुसने की कोशिश करने पर गेट पर तैनात मस्जिद के कर्मचारी बोर्ड दिखाकर रोक देते है। वैसे तो यह पाबंदी सिर्फ महिलाओं के लिए है। मग़रिब के बाद पुरुष ईशा की नमाज़ के लिए प्रवेश कर सकते हैं। यह नमाज़ रात करीब आठ बजे होती है। यह प्रतिबंध परिवार के साथ जाने वाली महिलाओं पर भी लागू होता है। ऐसे में परिवार को भी मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। मस्जिद प्रबंधन के इस फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक विशेषज्ञों ने आपत्ति जताई है।
लोग परिवार के साथ इफ्तार करने पहुंचे
आपको बता दें कि रमजान के महीने में पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद की खूबसूरती देखते ही बनती है। मस्जिद को रोशनी से सजाया गया है, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। इन दिनों रोजाना इफ्तार के लिए पुरानी दिल्ली ही नहीं बल्कि शहर और राज्यों के अन्य जगहों से भी लोग आ रहे हैं। इफ्तार के करीब आधे घंटे बाद मस्जिद प्रबंधन महिलाओं के निकलने की घोषणा करने लगता है।
शाम होते ही शरारती तत्व सक्रिय हो जाते हैं
आपको बताते चले, इस संबंध में जब मस्जिद के नायब इमाम शाबान बुखारी से पूछा गया तो उन्होंने शाम के बाद महिलाओं के प्रवेश पर रोक का कोई निश्चित कारण नहीं बताया। वैसे मस्जिद प्रबंधन से जुड़े लोगों के मुताबिक शाम होते ही शरारती तत्व मस्जिद में सक्रिय हो जाते हैं। वहां दो प्रेमी आते हैं जो गलत काम करते हैं। तब से शाम के बाद महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।