दिल्ली के शास्त्रीनगर-बेला फार्म-गढ़ी मांडू यमुना के डूब क्षेत्र का अब कायाकल्प होगा। 11 किमी का यह हिस्सा उत्तर पूर्वी दिल्ली के लोगों के लिए एक नया पिकनिक स्पॉट बन जाएगा। 21 मार्च को एलजी वीके सक्सेना के निर्देश पर डीडीए, वन विभाग के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरू कर रहा है। इस हिस्से में नदी घास के अलावा बांस और फूलों के पौधे रोपे जाएंगे। इससे यहां की मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी। साथ ही भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। एलजी ने 11 मार्च को औचक निरीक्षण के बाद इस जगह से गंदगी हटाने का काम शुरू किया था।
यमुना किनारे थ्री लेयर हरियाली देखने को मिलेगी
बता दें, इस हिस्से में यमुना के किनारे हरियाली की तीन परतें नजर आएंगी। इसका पहला भाग रिवर ग्रास का होगा। दूसरा हिस्सा बांस का और तीसरा हिस्सा फूल और फलदार पौधों का होगा। यह पौधारोपण करीब 4.50 लाख वर्ग हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा। इसमें 2 लाख वर्ग मीटर में बांस, 70 हजार वर्ग मीटर में नदी घास और 1.80 वर्ग मीटर में फूलों के पौधे रोपे जाएंगे। इस क्षेत्र में कुल 13371 फूलों के पौधे रोपे जाएंगे। इनमें गुलमोहर, अमलताश, लैगरस्ट्रोमिया, एरीथ्रिना, टाकोमा, जकरंडा, ढाक और सीमल के पौधे रोपे जाएंगे। बढ़ने के बाद ये पौधे 15 से 25 मीटर ऊंचे होते हैं।
बाँस की विशेषताएं
यहां बांस की तीन प्रजातियां लगाई जा रही हैं। इनमें बंबुसा नूतन, बम्बस टुल्डा और डेंड्रोकलामस शामिल हैं। बाँस अन्य पौधों की तुलना में 30 प्रतिशत ऑक्सीजन छोड़ता है। बंबूसा एक नई सजावटी प्रजाति है। जबकि, अन्य दो कुटीर उद्योग में प्रयुक्त होने वाली प्रजातियाँ हैं।
गढ़ी मांडू में होने वाला पौधरोपण की डीटेल
पौधे
- गुलमोहर 548
- लैगरस्ट्रोमिया 1279
- इरिथ्रिना 2469
- टकोमा 640
- अमलताश 5,524
- जकरंदा 877
- ढाक 407बांस
- बंबूसा नूतन 32,691
- बंबस टुल्डा 19,228
- डेंड्रोकलामस 18,321घास
- खस 1,38,075
- मुंजा 1,39,604
- वटीवर 1,29,796