देश की ताजनगरी दिल्ली की अपनी एक मिश्रित संस्कृति है। यहां बिहार, बंगाल, असम से लेकर केरल, हरियाणा, कश्मीर तक विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग निवास करते हैं। हालांकि मयूर विहार फेज 1 में राजस्थान के एक वर्मा जी बहुत दुख में हैं। क्योंकि उनको अपने ‘वर्मा’ उपनाम छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राम अवतार वर्मा मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। उनका आरोप है कि एक स्थानीय व्यक्ति उन्हें परेशान कर रहा है। बता दे कि वर्मा मोची का काम करते है और उन्होंने फुटपाथ पर अपनी दुकान लगा रखी है और नाम व मोबाइल नंबर का बोर्ड लगा रखा है। इसमें उनका पूरा नाम लिखा है राम अवतार वर्मा, परंतु उनका आरोप है कि एक शख्स ने वर्मा का नाम बोर्ड से हटाकर उनकी स्थानीय जाति लिखने की धमकी दी है। गांव में चमड़ा श्रमिकों को एक अलग शब्द से संबोधित किया जाता है। शायद यह चलन अब बंद हो गया हैं।
पहचान पत्र में वर्मा ही उपनाम हैं
बता दें, राम अवतार वर्मा अब पुलिस केस दर्ज करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्हें कई महीनों से परेशान किया जा रहा है। वहीं जब मीडिया संस्थानों ने आरोपी शख्स से बात की तो उसने अपनी गर्दन ना में हिला दी। आरोपी व्यक्ति ने कहा कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही है। छह बच्चों के पिता वर्मा एलकॉन पब्लिक स्कूल के पास अपना स्टॉल चलाते हैं, उन्होंने विपरीत समाज में रहने वाले एक व्यक्ति पर आरोप लगाया है। 40 राम अवतार वर्षीय वर्मा कहते हैं कि मैंने अपने स्टॉल पर अपना नाम और फोन नंबर एक बोर्ड पर लिख रखा है, ताकि ग्राहक मुझसे संपर्क कर सकें।
राम अवतार वर्मा को दी जा रही धमकी
आपको बताते चले कि राम अवतार वर्मा ने आरोप लगाया हैं कि एक विपरीत समाज में रहने वाले वृद्ध ने कहा कि आप कैसे वर्मा सरनेम का इस्तेमाल कर रहे हैं और सरनेम को बोर्ड से नहीं हटाने पर दुकान बंद करने की धमकी दी हैं। वर्मा ने कहा कि डर के मारे मैंने वर्मा के सरनेम पर पेपर चिपका दिया। वहीं वर्मा ने आरोप भी लगाया कि उन्हें और भी प्रताड़ित किया जा रहा है। जब बारिश हुई तो कागज धुल गया। इसके बाद वह व्यक्ति फिर से जूता बनाने वालों की जाति लिखने की धमकी देने लगा। वर्मा ने कहा कि मैं गरीब हूं लेकिन मैं बोर्ड पर उस शब्द का इस्तेमाल कैसे करूं? अपने और अपने परिवार के लिए खतरे को महसूस करते हुए, वर्मा ने अब पुलिस शिकायत दर्ज करने का फैसला किया है।