दादा-दादी और नाना-नानी से एक कदम आगे बढ़कर कविताओं और बाल साहित्य की कहानियों के माध्यम से बच्चों में ज्ञान का प्रसार किया जा रहा है। प्रगति मैदान विश्व पुस्तक मेले में बाल साहित्य की भारी मांग है। लेखक उदयन वाजपेयी ने कहा कि बाल साहित्य केवल बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के लिए भी है। यदि बच्चों को मूर्ख समझकर कोई पुस्तक लिखी जाती है तो वह बाल साहित्य नहीं है।
बाल साहित्य की भरमार
इकतारा संस्था के निदेशक सुशील शुल्क ने कहा कि इस युग में बाल साहित्य के अंतर्गत हिंदी में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में लघुकथाओं, कविताओं और पोस्टरों के माध्यम से कई संदेश रोचक ढंग से दिए जाते हैं। प्लूटो और साइकिल पत्रिकाएँ बच्चों में लोकप्रिय हैं। विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्रिकाएँ उन्हें प्रकृति, कला, विज्ञान और मानवीय संवेदनाओं से परिचित कराती हैं। फिर उनका साहित्य अलग क्यों है? शशि सबलोक का कहना है कि बाल साहित्य में यात्रा वृतांत, कविता, डायरी सहित अनेक विधाओं का समावेश हुआ है, जिससे ज्ञान का विस्तार हुआ है।
कई पुस्तकों का विमोचन
बता दें, बुक फेयर में लोकप्रिय पुस्तक पेन डाउन की पुस्तकें प्रदर्शित की गईं। इस प्रकाशन की पुस्तकें, ड्राइविंग डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, डोंट डिले एक्ट टू प्ले, व्हाई नो वन केयर्स फॉर योर ब्रांड, हाउ टू बी ए रिच प्रैक्टिशनर और पशुपालक अपनी अपनी कैसे करे, मंगलवार को जारी की गईं। ड्राइविंग डिजिटल परिवर्तन अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित है। इसे रक्तिम सिंह ने लिखा है। भुवन पंत की डोंट डिले एक्ट टू प्ले जबकि अजय अदालका की ‘व्हाई नो वन केयर फॉर योर ब्रांड’ के विमोचन के अवसर पर पुस्तक पारखी इन सभी उत्कृष्ट कृतियों की सराहना करते हैं।