देश की ताजनगरी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया है। आबकारी नीति में भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया बुरी तरह फस गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि मनीष के करीबियों ने कई खुलासे किए हैं और उनके खिलाफ कुछ कागज़ी सबूत भी हैं। यह पूरा मामला 2021-22 की आबकारी नीति से जुड़ा है, जिसे अब रद्द कर दिया गया है।
सीबीआई जांच में सामने आया है कि मार्च 2022 के मध्य में दक्षिण भारत का एक लॉबीस्ट दक्षिण दिल्ली के एक होटल में रुका था। इस ग्रुप को ‘साउथ ग्रुप’ कहा जा रहा है। यहां उन्होंने कथित शराब नीति घोटाले के आरोपी और आप के संचार प्रभारी विजय नायर से मुलाकात की। सीबीआई के मुताबिक इस होटल में कई अहम दस्तावेज प्रिंट और कॉपी किए गए थे। साउथ ग्रुप ने कथित तौर पर लाइसेंस और नीति में बदलाव के लिए 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
CBI के रडार पर कैसे आए सिसोदिया?
बता दें, जब इंडोस्पिरिट (दक्षिण समूह में प्रमुख) के आवेदन पर आपत्तियां उठाई गईं, तो थोक लाइसेंस के लिए दूसरा आवेदन प्रस्तुत किया गया। मनीष ने सीबीआई के रडार पर कैसे आए, इस पर एजेंसी के एक सूत्र ने कहा कि डिप्टी सीएम ने तुरंत आबकारी अधिकारियों को दूसरे आवेदन पर लाइसेंस देने के निर्देश जारीकिए, जबकि सिसोदिया के पास इसके बारे में जानने का कोई कारण नहीं था। पता नहीं था कि साउथ ग्रुप ने दूसरा आवेदन दिया है।
सीबीआई की तलाशी में मिली अलग फाइल
बताते चले, 19 अगस्त को आबकारी विभाग में तलाशी अभियान के दौरान जब्त डिजिटल उपकरणों की जांच के दौरान सीबीआई को आबकारी नीति का मसौदा दस्तावेज एक अलग सिस्टम में मिला, जो विभागीय नेटवर्क का हिस्सा नहीं था। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने पूछताछ में बताया कि यह सिसोदिया के दफ्तर का कंप्यूटर है। CBI ने 14 जनवरी को डिप्टी सीएम के कार्यालय से उस कंप्यूटर को जब्त कर लिया था।