आज के समय में लोग यात्रा करने के लिए मेट्रो का सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं, क्योंकि मेट्रो से यात्रा करने में कम वक्त, कम किराया और ज्यादा सुविधा मिलती है।
इसी के साथ ही मेट्रो ने प्रदूषण से राहत दिलाने में काफ़ी अहम भूमिका निभाई है। वही अगर समय की बात करें तो मेट्रो के परिचालन से सालाना यात्रियों के 26.9 करोड़ घंटे की बचत होती हैं। जिसकी साल 2031 तक 57.2 करोड़ घंटे तक हो जाने की उम्मीद है। बता दें कि दिल्ली में मेट्रो 392 किलोमीटर के दायरे में चलती हैं। जिसमे रोजाना करीब 50 लाख यात्री यात्राएं करते हैं।
आपकों बता दें कि द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) ने एक अध्ययन किया है, जिसके अनुसार आने वाले 10 वर्षों में करीब दोगुना समय की बचत होगी। इसके साथ ही मेट्रो के प्रयोग से सड़कों पर से पांच लाख से अधिक वाहन हटने के साथ ही प्रदूषण में भी कमी आई है।
वहीं वाहनों के कम उपयोग से सड़कों पर जाम की समस्या से भी निजात मिला है।
सूत्रों के मुताबिक़ 2019 में मेट्रो में यात्रियों की संख्या बढ़ने से करीब 4.74 लाख वाहन कम हुए हैं। मेट्रो के आने से यात्री अपने निजी वाहनों को घर में छोड़कर मेट्रो में सफर करने लगे हैं। जिससे जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन भी कम हुए है।इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो ने परिचालन में स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में भी एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।
इससे पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ कार्बन क्रेडिट से भी सालाना करोड़ों की कमाई हो रही है। छह वर्षों (2012-2018) के दौरान डीएमआरसी ने 35.5 लाख कार्बन क्रेडिट के जरिये करीब 19.5 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।