दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से नहीं मिलेगा जल्द छुटकारा, अभी लगेंगे चार-पांच साल

दिल्ली में वैसे तो किसी सुविधा की कमी नहीं है, लेकिन बहुत सी सुविधा होने के बाद भी दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की समस्या सताती है। बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण कि समस्या पंजाब में पराली जलने से पैदा होती है।

वहीं पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्र और विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तावित कई पहलों में फसल विविधीकरण शामिल है। फसल विविधीकरण से तात्पर्य नयी फसलों को कृषि उपज को जोड़ने से है। इससे कार्बन का संचय एवं मृदा की उर्वराशक्ति बनी रहती है।

इसी के साथ दिल्ली स्थित ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ संस्था द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित एक कार्यशाला में पीपीसीबी के सदस्य सचिव करुणेश गर्ग ने बताया कि पराली जलाने के मामलों की संख्या से उसके प्रभाव का आकलन करना सही तरीका नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल दिल्‍ली-एनसीआर के लोगो को पराली से होने वाले प्रदूषण से निजात नहीं मिलेगा। क्योंकि इस संबंध में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी सचिव करुणेश गर्ग ने कहा है कि, फसल विविधीकरण पराली जलाने की समस्या का दीर्घकालिक समाधान नहीं है। इस समस्या से पूरी तरह छुटकारा पाने में अभी चार से पांच साल का समय लग सकता है।

इसी के साथ पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आदर्श पाल विग ने कहा कि, ‘यह एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्या है, जहां किसानों के व्यवहार व दृष्टिकोण पर भी गौर करने की जरूरत है।’

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने के 71,304 मामले सामने आए, जबकि 2020 में इसी अवधि में 83,002 मामले सामने आए थे।