क्या आप जानते हैं दिल्ली में टेलीफोन का सफर कैसे शुरू हुआ, अगर नहीं तो जानें यहां

देश अब जल्द ही 5G नेटवर्क से लैस होने वाला है, जिसके लिए अभी हाल ही में पीएम मोदी ने 5G सेवा लॉन्च की हैं।
भारत में जब टेलिकम्युनिकेशन क्रांति हुई,तो दिल्ली का इस क्रांति से ख़ास संबंध रहा। जोकि बहुत ही कम लोगो को पता है, लेकिन आज हम आपको बताएंगे दिल्ली के टेलीफोन से लेकर मोबाइल और 5G सर्विस तक के सफर की कहानी।

दिल्ली में टेलीफोन सेवा ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक बहुत लंबा सफर तय किया है। बता दें कि भारत में मोबाइल फोन की पहली कॉल 31 जुलाई 1995 को की गई थी,जिसका संबंध दिल्ली से बन गया था। दरअसल 31 जुलाई 1995 को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को कॉल की थी। उस समय बसु के पास नोकिया का हैंडसेट था। जानकारी के अनुसार बसु ने ये कॉल कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली स्थित संचार भवन को की थी।

शुरुआती दौर में दिल्ली में भारती एयरटेल के फाउंडर चेयरमेन सुनील भारती मित्तल अपने मित्रों के पास जाकर फोन का कनेक्शन बेचते थे। एयरटेल के सबसे पहले 15 ग्राहकों में सफदरजंग एनक्लेव के दो प्रख्यात डॉक्टर भाई डॉ. अश्वनी चोपड़ा और डॉ. आलोक चोपड़ा शामिल थे।

सन 1911 में दिल्ली देश राजधानी बनी, इसी के साथ यहां पर सांकेतिक फोन सेवा चालू हो गई। उस समय में केवल वायसराय, आला सरकारी अफसरों और असरदार भारतीयों के पास ही फोन होता था। बता दें कि दिल्ली के मशहूर डॉ. एचसी सेन फव्वारा का घर-क्लिक का फोन नंबर 6 था। 1920 तक दिल्ली में मासिक फोन शुल्क 120 रुपया था,जो उस समय के हिसाब से बहुत अधिक था। दिल्ली में लोथियान एक्सचेंज 1926 में शुरू हुई और फिर 1937 में कनॉट प्लेस एक्सचेंज चालू हुई।

1950 के बाद दिल्ली कैंट, करोल बाग, जोर बाग, शाहदरा, दिल्ली गेट, ओखला एक्सचेंज, ईदगाह एक्सचेंज स्थापित हुए।1953 में लोथियान एक्सचेंज का स्थान तीस हजारी ने ले लिया। तीस हजारी को भारत की मोबाइल क्रांति का जन्म स्थान है।

यहां से ही उस समय के केन्द्रीय जनसंचार मंत्री राम निवास मिर्धा ने 31 दिसंबर 1985 को कार फोन सेवा को शुरू किया। इन कार फोन की रेंज 15 किलोमीटर हुआ करती थी। उसे तब केंद्रीय मंत्रियों, तीनों सेना के प्रमुखों और अन्य सुपर वीआईपी हस्तियां रखती थीं।

दिल्ली में 1992 में लगभग 250 लोगों के पास कार फोन हुआ करते थे। इस सेवा को भारत सरकार के उपक्रम सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स ने चालू किया था।जिनके पास ये कार फ़ोन होते थे उन्हें समाज में बहुत सम्मान की नजरों से देखा जाता था। वहीं 1966 में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता एसटीडी सेवा अक्टूबर चालू हुई थी।

वर्तमान से लगभग साठ साल पहले दिल्ली-6 में गिने-चुने घरों में ही टेलीफोन लगे होते थे।चावड़ी बाजार के सोशल वर्कर आशीष वर्मा बताते हैं कि, तब इलाके के लोग उस व्यक्ति का फोन नंबर सबको दे देते थे, जिसके घर में फोन होता था।

उस समय लोग बड़ी शान से पीपी लिखकर टेलीफोन नंबर अपने विजिटिंग कार्ड पर लिखवा लेते थे। लेकिन आज सबके पास एक से ज्यादा फोन होते हैं।