देश की ताजनगरी दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने के लिए डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल पर नियम और सख्त कर दिए गए हैं। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शुक्रवार को एक निर्देश जारी कर कहा कि 15 मई के बाद 800 किलोवाट तक के जनरेटर को औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग की अनुमति तभी दी जाएगी जब वे दोहरे ईंधन (गैस और डीजल) पर चल रहे हों। जबकि GRAP के लागू होने के समय उन पर पहले की तरह प्रतिबंध लागू रहेंगे।
डीजल जेनरेटर बड़ा कारण प्रदूषण का
बता दें, दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का एक बड़ा कारण डीजल जनरेटर सेट का उपयोग भी माना जाता है। यही कारण है कि डीजल जनरेटर के उपयोग को सीमित करने और प्रतिबंधित करने का प्रयास किया गया है। ठंड के मौसम में लागू ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के दौरान इन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। 15 मई के बाद औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग के लिए 800 किलोवाट तक के जनरेटर का उपयोग तभी किया जा सकेगा जब वे दोहरे ईंधन वाले हों।
प्रदूषण निवारण के लिए पहल
आपको बताते चले कि दोहरे ईंधन से तात्पर्य 70 प्रतिशत गैस और 30 प्रतिशत डीजल पर चलने वाले जनरेटर से है। आयोग द्वारा जारी निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि डीजी सेटों का अनियंत्रित उपयोग प्रदूषण की दृष्टि से चिंता का विषय है। आयोग ने कहा कि ग्रे-टाइम के अलावा बड़ी संख्या में डीजी सेट का इस्तेमाल किया जा रहा है और अगर इनसे होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए तो इनसे भारी प्रदूषण होता है।
स्मॉग टावरों की संख्या बढ़ाने पर जून के बाद फैसला लिया जाएगा
दिल्ली में स्मॉग टावरों की संख्या बढ़ाने पर जून के बाद फैसला लिया जाएगा। प्रदूषण की रोकथाम के लिए ये कितने कारगर हैं, इसकी अंतिम रिपोर्ट जून तक आने की संभावना है। उसके बाद ही इस पर आगे फैसला लिया जाएगा। दिल्ली में खासकर सर्दी के मौसम में प्रदूषण को रोकने के लिए कनॉट प्लेस के पास बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्मॉग टावर लगाया गया है।