Delhi Riot News: दिल्ली दंगों के 9 आरोपियों को कड़कड़डूमा कोर्ट ने किया बरी, शाहरूख पठान को पिस्टल बेचने वाले आरोपी को भी किया गया बरी 

वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों में हेड कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने के आरोपी शाहरुख पठान को हथियार बेचने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने बाबू वसीम को बरी कर दिया है, परंतु जांच से फरार होने का आरोप तय कर दिया है। 24 फरवरी 2020 को जाफराबाद इलाके में हेड कॉन्स्टेबल दीपक दहिया पर पिस्टल तानने के मामले में आरोपी शाहरुख पठान के खिलाफ पहले ही आरोप तय हो चुके हैं।

इस मामले में मेरठ के विकासपुरी कॉलोनी निवासी बाबू वसीम पर आरोप था कि उसने शाहरुख पठान को पिस्टल दी थी। अभियोजन (Prosecution) पक्ष के मुताबिक, पठान ने अपने खुलासे के बयान में कहा था कि उसने यह पिस्तौल और 20 राउंड कारतूस बाबू वसीम से दिसंबर 2019 में 25,000 रुपये में खरीदे थे। घोंडा में एक मस्जिद के पास उसकी मुलाकात बाबू वसीम से हुई।

 

वकील ने दिए यह तर्क 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने रिकॉर्ड से पाया कि जुलाई 2020 में बाबू वसीम को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया था और उसे अप्रैल 2022 में गिरफ्तार किया गया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने पाया कि आरोपी बाबू वसीम के खिलाफ मामला मूल रूप से वास्तविक सामग्री या साक्ष्य के बजाय अनुमान पर आधारित है। इस संबंध में पठान का बयान कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है।

 

हेड कांस्टेबल से तथ्य बनाने में देरी के चलते नौ आरोपी और बरी

बता दे, उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान एक व्यक्ति के घर और दुकान को जलाने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने शनिवार को संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपियों को बरी किया हैं। अपर सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल की अदालत ने संपत्ति में आगजनी की घटना को पूरी तरह सच बताते हुए कहा कि जिन लोगों को आरोपी बनाया गया, पुलिस उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सकी।

 

एक व्यक्ति की गवाही पर्याप्त नहीं है

एक हेड कांस्टेबल ही घटना में आरोपी की मौजूदगी बता रहा है, उसने जांच के दौरान महत्वपूर्ण तथ्य बताने में भी देरी की है। एक गवाह का मात्र बयान पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। इसलिए आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया गया।