राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंदिर मार्ग स्थित महर्षि वाल्मीकि मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें आज भी जीवित हैं। इस मंदिर से बापू के सिंहासन, मेज और कलम के अलावा भी बहुत सी यादें जुड़ी हैं। आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि हैं और उनके लिए उनके कमरे को फूलों से सजाया गया है। यहां सोमवार की सुबह एक घंटे तक प्रार्थना सभा होगी। जिसमें बापू को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
बापू संध्या भजन में शामिल होते थे
बता दे, मंदिर के मालिक कृष्ण शाह विद्यार्थी ने बापू के इस मंदिर के एक कमरे में बिताए 214 दिनों के बारे में बताया कि लेडी माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू समेत देश-विदेश के कई गणमान्य व्यक्ति अक्सर उनसे मिलने यहां आते थे। मंदिर में आयोजित शाम को होने वाले भजन में बापू शामिल होते थे। आज भी बापू के कमरे में रोज अगरबत्ती जलाई जाती है और फूल चढ़ाए जाते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1 अप्रैल 1946 से जून 1947 तक मंदिर में 214 दिन बिताए थे।
बापू की यादें आज भी जिंदा हैं
इस दौरान लोग उनसे मिलने आते थे। बापू की विचारधारा से प्रेरित होकर स्वामी कृष्ण शाह विद्यार्थी ने बताया कि बापू की पुण्यतिथि और जयंती पर यहां ज्यादा लोग पहुंचते हैं। पूरे साल बापू के जीवन पर अध्ययन करने वाले देश-विदेश के शोधकर्ता भी यहां आते हैं। बापू की स्मृति आज भी उस स्थान पर जीवित है जहां बापू स्याही से देश के भविष्य के लिए अपने सपने लिखते थे। बापू निवास की दीवारों पर बने चित्र भले ही फीके पड़ गए हों, और सूती सूत की मालाएँ हमें उनके सादा जीवन और उच्च विचार की याद दिलाती हैं। कमरे में एक छोटा प्रतीकात्मक चरखा भी है, जो उनकी पहचान थी।