राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की छोटी सरकार यानी की एमसीडी में 7 दिसंबर 2022 को आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली नगर निगम (MCD) की 250 में से 134 वार्डों पर जीत हासिल कर बीजेपी (BJP) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था। वहीं बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत हासिल की थी। जीत हासिल करने के बाद भी आम आदमी पार्टी अपना मेयर और डिप्टी मेयर नही बना पा रही हैं। जो कि 6 जनवरी 2023 को होने थे। वह अब 3 महीने के लिए स्थगित कर दिए गए हैं, क्योंकि हाल ही में इसे लेकर सदन के भीतर दोनों पार्टी के पार्षद आपस में भिड़ भी गए थे। इसे लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) अधिनियम इस प्रक्रिया को जटिल बना रहा है। पहले भी राजनीतिक पार्टियों को इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है
आम आदमी पार्टी और बीजेपी के मेयर पद के लिए उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली नगर निगम महापौर (MCD Mayor) चुनावों के लिए शालीमार बाग से अपनी पार्षद रेखा गुप्ता को मेयर पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है, वहीं दूसरी तरफ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी तरफ से अपनी पार्षद शैली ओबेरॉय को मैदान में उतारा है। दिल्ली भाजपा (Delhi BJP) के मीडिया सेल प्रमुख हरीश खुराना ने बताया कि बीजेपी ने डिप्टी मेयर पद के लिए कमल बागड़ी और स्थायी समिति सदस्य के पदों के लिए कमलजीत सहरावत, गजेंद्र दराल तथा पंकज लूथरा को मैदान में उतारा हैं।
एमसीडी अधिनियम उपराज्यपाल को देता है कई शक्तियां
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा ने कहा कि एमसीडी DMC एक्ट के अनुसार काम करता है क्योंकि यह विधायिका नहीं है। उन्होंने बताया
“संविधान में केवल विधायिका जैसे विधानसभा और संसद के लिए नियम हैं, जहां कानून बनाए जाते हैं। नगर निगम अधिनियम में अलग तरह के नियम हैं। संशोधित डीएमसी अधिनियम, 2022 ने केंद्र या दूसरे शब्दों कहें तो एलजी को सभी शक्तियां दे दी हैं, जिससे आप के लिए चीजें मुश्किल हो गई हैं। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि एलजी 10 एल्डरमैन नियुक्त करेंगे। इसी तरह, 14 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नामित किया जाता है।”
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
वहीं संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया
“दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, जहां एलजी को चुनी हुई सरकार से ज्यादा शक्तियां दी गई हैं। शुक्रवार की घटना के पीछे मुख्य कारण शक्ति परीक्षण था। एमसीडी चुनाव के नतीजे आने के बाद भी बीजेपी दावा कर रही थी कि मेयर उनकी पार्टी का होगा। माना जा रहा है कि आप को डर था कि कहीं यह बयान सच न निकल जाए, इसलिए बहुमत होने के बावजूद आप मनोनीत सदस्यों के शपथ ग्रहण का विरोध कर रही है। एमसीडी के मामले में पार्षदों की क्रॉस वोटिंग संभव है क्योंकि दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। 2014 में, कांग्रेस पार्षद प्रवीण राणा एक निर्दलीय के समर्थन से तत्कालीन दक्षिण निगम के डिप्टी मेयर चुने गए थे, जबकि भाजपा सत्ता में थी।”