दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को कचरे के पहाड़ से मुक्त करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वादे को पूरा करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। 28 दिसंबर 2022 बुधवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर और डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवारों शैली ओबेरॉय और अली मोहम्मद इकबाल और एमसीडी (MCD) अधिकारियों के साथ ओखला लैंडफिल साइट (Okhla Landfill Site) का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कचरे के पहाड़ को हटाने के लिए शुरू किए गए काम का निरीक्षण किया।
पिछली सरकार ने नहीं दी थी प्राथमिकता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा,
“कचरे के पहाड़ को हटाना पिछली यानी की बीजेपी (BJP) सरकार की प्राथमिकता नहीं थी। इसलिए इन लैंडफिल साइट्स की ऊंचाई बढ़ती चली गई और दिल्ली के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। कूड़े के इन पहाड़ों की बदबू ने लोगों का जीना दूभर कर दिया था, लेकिन अब दिल्ली की जनता ने एमसीडी (MCD) में आम आदमी पार्टी (AAP) को मौका दिया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हमने इस कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए इसका खाका तैयार कर लिया है। अरविंद केजरीवाल खुद एक इंजीनियर हैं और उन्होंने इन कचरे के ढेर को खत्म करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। उनका विजन दिल्ली को दुनिया की सबसे स्वच्छ और सबसे खूबसूरत राजधानी बनाना है और अब इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।”
कितना खतरनाक है कूड़े का पहाड़?
गौरतलब है कि कूड़े के पहाड़ का गिर जाना ही खतरा नहीं है बल्कि इसके कई दूसरे नुकसान भी हैं। कचरे के अंदर कई तरह-तरह की चीजें होती हैं। इनमें प्लास्टिक भी होगा, दवाएं-खतरनाक केमिकल भी, और खाना भी। ये सब मिलकर बैक्टीरियल ब्रेक-आउट पैदा करते हैं, जिससे जहरीली गैसें बनाती हैं। जैसे कि मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड। इनके अलावा कुछ प्रतिशत अमोनिया, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन जैसी गैसें भी उत्सर्जन होती हैं। यह एक बहुत बड़ा रिस्क है। इसके अलावा कूड़े में गैस मौजूद होने के कारण उसमे से गर्मी निकलती है। अगर इसके भीतर कोई फंस जाए, तो हाइपरथर्मिया भी उसकी मौत की वजह बन सकता हैं।