Delhi News: एक तरफ़ घोटाले की जांच जारी , दूसरी तरफ क्लासरूम को हाईटेक बनाने की शुरू हो गई तैयारी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक तरफ सरकारी स्कूलों में पहले चरण में बने सात हजार कमरों में कथित घोटाले की बात की जा रही हैं, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक शाखा जांच कर रही है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने कक्षाओं को हाईटेक (Hightech) बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसके पहले चरण के निर्माण कार्य में घोटाले की जांच-पड़ताल के लिए भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने साफतौर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने का कार्य जारी रहेगा।

 

2211 कक्षाओं को हाईटेक बनाया जायेगा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीडब्ल्यूडी (PWD) ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में छठी कक्षा से लेकर 12वीं तक की 2211 कक्षाओं को हाईटेक (Hightech) बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। इसका बजट 65 करोड़ रुपये के आस-पास रखा गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद 120 दिन में कम खत्म करने की सीमा अवधि सुनिश्चित की गई हैं।

 

कक्षाओं को बनाया जायेगा डिजिटल और लगाए जायेगे स्मार्ट बोर्ड

गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,

“सरकार अपने स्कूलों को स्मार्ट बनाने की तैयारी कर रही है। परियोजना के तहत सरकारी स्कूलों की कक्षाओं में स्मार्ट बोर्ड लगाए जाएंगे। स्मार्ट बोर्ड अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे, जो न केवल टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया को बेहतर बनाएंगे, बल्कि बच्चों को बेहतर ढंग से सीखने में भी मदद करेंगे। इसके जरिए बच्चों की सभी आनलाइन लर्निंग रिसोर्स तक पहुंच होगी।साथ ही क्लासरूम में रिकार्डिंग के लिए आधुनिक कैमरे भी इंस्टाल किए जाएंगे, ताकि क्लास की लाइव रिकार्डिंग की जा सके। छात्र कभी भी ये रिकार्डिंग देख सकेंगे। शिक्षक स्मार्ट बोर्ड का बेहतर ढंग से प्रयोग कर सकें, इसके लिए उनको विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।”

 

2015 में दिए गए थे क्लासरूम बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी (PWD) को कार्य

गौरतलब है कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल 2015 में दिल्ली सरकार ने पीडब्ल्यूडी (PWD) को 193 संस्थानों में 2405 क्लासरूम बनाने का काम दिया था। इसमें कितनी कक्षा को आवश्यकता है इसका पता लगाने के लिए सर्वे किया गया था। सर्वे के मुताबिक 194 स्कूलों में 7180 समतुल्य कक्षा कक्षों (ECR) की कक्षाओं का अनुमान लगाया गया। जोकि 2405 कक्षाओं की आवश्यकता का लगभग तीन गुना है। दिल्ली सरकार आभकारी नीति में भी फंसी हुई हैं।